पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने न्यायिक हिरासत में घर के पके हुए खाने के लिए याचिका दायर की है। इस मामले की सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम दिल्ली उच्च न्यायालय से सोमवार को किसी भी तरह की राहत हासिल करने में नाकाम रहे। अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जांच अग्रिम चरण में है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की याचिका खारिज करने के दौरान कड़ी टिप्पणियां करते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर चिदंबरम के खिलाफ मामला साबित हुआ तो यह समाज, अर्थव्यवस्था, वित्तीय स्थिरता और देश की अखंडता के साथ किया गया अपराध है। अदालत ने कहा कि चिदंबरम के विदेश भागने का खतरा नहीं है और इस बात का भी अंदेशा नहीं है कि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं लेकिन अगर उन्हें जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आर्थिक अपराध एक अलग वर्ग हैं और यह खुद एक वर्ग बनाते हैं, क्योंकि यह लोक प्रशासन में ईमानदारी और शुद्धता की जड़ को काट देता है।
यह चुनी हुई सरकार में जनता के विश्वास का खत्म करता है। चिदंबरम (74) को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। तब से वह हिरासत में हैं। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि चिदंबरम मजबूत वित्त और गृह मंत्री रहे हैं
बता दें कि चिदंबरम संप्रग सरकार में 2004 से 2014 के बीच वित्त और गृह मंत्री थे। उन्हें उनके जोर बाग स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था। वह तीन अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने का निचली अदालत का फैसला ‘न्यायोचित’ है। उन्होंने नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रुख न करके सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी और आरोप लगाया था कि चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश हासिल करने के लिये एफआईपीबी की मंजूरी देने में अनियमितता की गई। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस संदर्भ में 2017 में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।