दिल्ली के टोल प्लाजाओं पर रोजाना 35 हजार वाहन नहीं चुका रहे टैक्स, महीने में लग रहा करोड़ों का चूना

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: September 18, 2019 01:26 PM2019-09-18T13:26:45+5:302019-09-18T13:32:02+5:30

आरएफआईडी सिस्टम में वाणिज्यिक (कॉमर्शियल) वाहनों के शीशे पर लगे आरएफआईडी टैग के जरिये स्वाचालित (ऑटोमैटिक) तरीके से टैक्स का भुगतान हो जाता है। दिल्ली में रोजाना 35 हजार से ज्यादा वाहन बिना टैक्स चुकाए निकल जा रहे हैं।

Over 35000 commercial vehicles slips into Delhi every day without paying tax through RFID | दिल्ली के टोल प्लाजाओं पर रोजाना 35 हजार वाहन नहीं चुका रहे टैक्स, महीने में लग रहा करोड़ों का चूना

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: pixabay)

Highlightsदो महीने से ज्यदा वक्त बीतने के बाद भी वाणिज्यिक वाहनों के ड्राइवरों को नहीं पड़ी आरएफआईडी सिस्टम की आदतबिना टैक्स चुकाए दिल्ली में प्रवेश कर रहे वाणिज्यिक वाहन, रोजाना 35 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी!

राजधानी दिल्ली के 13 टोल प्लाजाओं पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) प्रोजेक्ट के अमल में आने के बावजूद लगभग दो महीने से रोजाना 35 हजार से ज्यादा वाणिज्यिक वाहन (कॉमर्शियल व्हीकल्स) बिना टैक्स चुकाए निकल रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साउथ कॉर्पोरेशन द्वारा तैयार की गई एक आंतरिक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 85 फीसदी वाहन इन 13 टोल प्लाजाओं से होकर दिल्ली में प्रवेश करते हैं। वाणिज्यिक वाहनों के लिए इन टोल प्लाजाओं पर अलग से लेन होती है। वाहन वहां से गुजरता है तो गाड़ी के शीशे पर लगे आरएफआईडी टैग के जरिये स्वाचालित (ऑटोमैटिक) तरीके से टैक्स का भुगतान हो जाता है। वाणिज्यिक वाहनों को कैशलेस आरएफआईडी प्रणाली में बदलने की समय सीमा 14 सितंबर थी।

बता दें कि दिल्ली के टोल प्लाजाओं में आरएफआईडी तकनीकी का इस्तेमाल बीती जुलाई 17 से शुरू हुआ था। आरएफआईडी तकनीकि स्वाचालित तरीके से टोल टैक्स का भुगतान करने के लिए हैं। कारोबारी उद्देश्यों के लिए यानी वाणिज्यिक वाहन जब दिल्ली में प्रवेश करते हैं तो उन्हें ग्रीन सेस नाम का टैक्स देना होता है जोकि 700 रुपये 1400 रुपये के बीच हो सकता है और वहीं 100 रुपये से लेकर दो हजार रुपये के बीच टोल टैक्स भी देना होता है। वाहन के आकार और उसकी कैटेगरी के हिसाब से ग्रीन सेस और टोल टैक्स लगाया जाता है। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 35 हजार से ज्यादा वाणिज्यिक वाहन निजी वाहनों के लिए बनाई गई फ्री लेन का इस्तेमाल कर निकल जाते हैं। इससे जिस वेंडर को यह सिस्टम चलाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है, उसे रोजाना करीब 35 लाख रुपये तक का नुकसान हो रहा है। इस तरह से हो रहे नुकसान का हिसाब लगाया जाए तो हर महीने यह करोड़ों में बैठेगा। दिल्ली के टोल प्लाजाओं में 58 आरएफआईडी लेन और 38 फ्री लेन हैं।

Web Title: Over 35000 commercial vehicles slips into Delhi every day without paying tax through RFID

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