विपक्ष, बीजेपी को केन्द्र की सत्ता से बेदखल करना चाहता है, लेकिन विपक्ष के बड़े नेता सेना की एयर स्ट्राइक पर तरह-तरह के सवाल उठा कर बीजेपी की ही अप्रत्यक्ष मदद कर रहे हैं।
इस वक्त बीजेपी के पास जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों का भारी अभाव है। केन्द्र सरकार चाहे जितनी उपलब्धियां गिनाए, मगर जनता की नजरों में अभी की बीजेपी सरकार और इससे पहले की कांग्रेस सरकार में कोई खास फर्क नहीं है। कांग्रेस से जनता की नाराजगी 2014 में निकल गई, अब बारी बीजेपी की है।
बीजेपी नेतृत्व भी इस सियासी माहौल को ठीक से समझ रहा है, इसीलिए अच्छे दिन सहित राम मंदिर, धारा 370, बेरोजगारी, गैस-पेट्रोल के रेट, राफेल सौदा, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहा है और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आतंकवाद के खिलाफ जंग पर ही फोकस होता जा रहा है। हालांकि, लोस चुनाव तक इस मुद्दे को प्रभावी बनाए रखना बहुत मुश्किल है, इसीलिए बीजेपी समर्थक भी केवल इसी मुद्दे को सोशल मीडिया सहित विभिन्न मंचों पर जोर-शोर से लगातार उठा रहे हैं।
यही नहीं, इसी आधार पर पीएम मोदी की इमेज को भी फिर से संवारने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। यह स्थापित करने का प्रयास हो रहा है कि देश के इतिहास में एयर स्ट्राइक जैसा कदम पहली बार उठाया गया है। विपक्ष ने एयर स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादियों की संख्या सहित कई सवाल उठाए थे, लेकिन यह पहले ही दिन साफ हो गया था कि सेना की कार्रवाई सफल रही है, क्योंकि यदि भारत का यह दावा गलत होता तो पाकिस्तान बगैर समय गंवाए इंटरनेशनल प्रेस को एयर स्ट्राइक स्पाॅट पर ले जाकर खड़ा कर देता। अब सेना ने भी एयर स्ट्राइक की कामयाबी के पक्के सबूत सरकार को दे दिए हैं।
जहां एयर स्ट्राइक के बाद से ही बीजेपी नेतृत्व लगातार इस मामले को उठा रहा है और उसे जनता का पूरा भरोसा भी मिल रहा है, वहीं इस पर सवाल खड़े करके विपक्ष अपना ही नुकसान कर रहा है। जाहिर है, बीजेपी को एयर स्ट्राइक के मुद्दे पर घेरने के प्रयास में विपक्ष अप्रत्यक्षरूप से बीजेपी का ही फायदा कर रहा है। यदि लोस चुनाव तक यह मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा तो इसका बीजेपी को तो फायदा होगा, लेकिन विपक्ष की सियासी संभावनाएं ढेर हो जाएंगी!