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रिन्यूएबल एनर्जी: मोदी सरकार के लक्ष्य को बस 6 राज्यों ने किया हासिल, ज्यादातर बीजेपी शासित राज्य भी रहे विफल

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 28, 2017 19:58 IST

मेघालय ने राज्य के लिए निर्धारित आरपीओ लक्ष्य से दोगुना हासिल किया। मणिपुर इस मामले में शून्य रहा।

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नरेंद्र मोदी सरकार रिन्यूएबल एनर्जी  पर काफी जोर देती रही है। लेकिन केंद्र सरकार के लिए इस दिशा में तय किए गये  लक्ष्य को देश के केवल छह राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश ही पूरा कर पाए हैं। पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकार संगठन (एनजीओ) ग्रीनपीस की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार के "रीन्यूएबल पर्चेज ऑब्लिगेशन" (आरपीओ) के लक्ष्य को देश के 29 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों में से केवल छह ही पूरा कर पाए। आरपीओ के तहत हर राज्य को अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का एक निश्चित हिस्सा हरित ऊर्जा (पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाली) के रूप में या तो खरीदना होता है या उत्पादित करना होता है।

ग्रीनपीस ने साल 2013 में भी ऐसी ही रिपोर्ट जारी की थी। संस्था का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी के मामले में पिछले चार सालों में भारत की  स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। ग्रीनपीस के अनुसार ज्यादातर भारतीय राज्य केंद्र सरकार के लक्ष्य तो दूर खुद राज्य द्वारा तय किए लक्ष्य पूरा नहीं कर सके। केवल कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, नगालैंड, मेघालय और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह मोदी सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य को पूरा करने में सफल रहे। इस मामले में फिसड्डी शामिल होने वालों में राज्यों में कई राज्य बीजेपी शासित हैं जिसकी केंद्र में सरकार है। ऐसे राज्यों में प्रमुख हैं, गुजरात, मद्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, गोवा, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश। 

ग्रीनपीस इंडिया की कैंपेनर पुजारिनी सेन ने मीडिया को जारी बयान में कहा, "पिछले चाल सालों में कोई अहद बदलाव नहीं आया है। जबकि साल 2022 तक गैर-फासिल फ्यूल एनर्जी के लिए 175 GW का महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य  रखा गया था।" पुजारिनी ने कहा कि "केवल बड़े लक्ष्य रखने से बात नहीं बनेगी। सरकार और डिस्कॉम को इन लक्ष्यों को पूरा भी करना होगा।" भारत सरकार ने ये लक्ष्य पेरिस जलवायु समझौते की भावना के अनुरूप ही रखा है। 

मेघालय ने लक्ष्य से दोगुना हासिल किया वहीं मणिपुर इस मामले में शून्य रहा। दक्षिण भारतीय राज्यों में तमिलनाडु इस मामले में पिछड़ा रहा लेकिन कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ने अच्छा प्रदर्शन किया। पुजारिनी ने कहा कि एक ही क्षेत्र के राज्यों के प्रदर्शन में बड़े फर्क को देखते हुए कहा जा सकता है कि देश के पास इन लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता और संसाधन हैं लेकिन इस मामले में सरकार और नोडल एजेंसियों की नीयत सही नहीं। 

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