केवल दो राज्यों और दो हाईकोर्टों ने केंद्र सरकार की अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के प्रस्ताव पर सहमति जताई, कानून मंत्रालय ने संसद में दी जानकारी

By विशाल कुमार | Published: December 11, 2021 08:08 AM2021-12-11T08:08:38+5:302021-12-11T08:10:36+5:30

विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजीजू ने शुक्रवार के लोकसभा को बताया कि समर्थन करने वाले दो राज्य हरियाणा और मिजोरम हैं। समर्थन करने वाले दो हाईकोर्ट त्रिपुरा और सिक्किम हाईकोर्ट हैं।

only-2-states-two-hcs-are-for-all-india-judicial-service-government parliament | केवल दो राज्यों और दो हाईकोर्टों ने केंद्र सरकार की अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के प्रस्ताव पर सहमति जताई, कानून मंत्रालय ने संसद में दी जानकारी

केवल दो राज्यों और दो हाईकोर्टों ने केंद्र सरकार की अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के प्रस्ताव पर सहमति जताई, कानून मंत्रालय ने संसद में दी जानकारी

Highlightsअन्य सेवाओं की तर्ज पर निचली अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये है अखिल भारतीय न्यायिक सेवा।  समर्थन करने वाले दो राज्य हरियाणा और मिजोरम हैं।समर्थन करने वाले दो हाईकोर्ट त्रिपुरा और सिक्किम हाईकोर्ट हैं।

नई दिल्ली: विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजीजू ने शुक्रवार के लोकसभा को बताया कि अन्य अखिल भारतीय सेवाओं की तर्ज पर निचली अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) गठित करने के प्रस्ताव पर आठ राज्य सहमत नहीं हैं जबकि दो राज्यों ने इस विचार का समर्थन किया है। 

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री ने यह जानकारी दी। समर्थन करने वाले दो राज्य हरियाणा और मिजोरम हैं।

रिजीजू ने बताया कि जहां तक इस विचार पर हाईकोर्टों का संबंध है, दो अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन के पक्ष में हैं जबकि 13 इसके पक्ष में नहीं है। समर्थन करने वाले दो हाईकोर्ट त्रिपुरा और सिक्किम हाईकोर्ट हैं। 

वहीं, छह राज्य इस प्रस्ताव में बदलाव चाहते हैं और दो अन्य ने अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने बताया कि इस विचार पर राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों की राय मांगी गई थी।

एआईजेएस केंद्र सरकार द्वारा समग्र न्याय वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर जिला न्यायाधीशों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की भर्ती प्रक्रिया है।

हालांकि, संविधान के तहत निचली न्यायपालिका में नियुक्तियां करने की शक्ति राज्यों के पास है। वर्तमान में, राज्य उच्च न्यायालयों के परामर्श से अपनी परीक्षाएं आयोजित करते हैं, जो रिक्तियों के आधार पर उत्पन्न होती हैं। एआईजेएस को राज्य की शक्तियों को कमजोर करने के रूप में देखा गया है।

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने नवंबर में कहा था कि राज्यों को बोर्ड में लाने के लिए नए सिरे से प्रयास किया जाएगा।

एआईजेएस का विरोध करने वाले आठ राज्य अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड और पंजाब हैं। 

बिहार ने बड़े बदलाव की मांग की है, छत्तीसगढ़ चाहता है कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के स्तर पर और बार से ऊपर की रिक्तियों में से केवल 15 फीसदी एआईजेएस के माध्यम से भरे जाएं और उड़ीसा न्यूनतम दस साल के अनुभव और चालीस साल की ऊपरी आयु सीमा पर जोर दे रहा है।

हाईकोर्टों पर सरकारी आंकड़ों के अनुसार इलाहाबाद, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, उत्तराखंड, मणिपुर ने प्रस्ताव में बदलाव की मांग की है और गुवाहाटी और मध्य प्रदेश के हाईकोर्टों ने कोई जवाब नहीं दिया।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, बॉम्बे हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, गुजरात हाईकोर्ट, कर्नाटक हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट, मद्रास हाईकोर्ट, पटना हाईकोर्ट, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, कलकत्ता हाईकोर्ट, झारखंड हाईकोर्ट, राजस्थान हाईकोर्ट और उड़ीसा हाईकोर्ट ने एआईजेएस पर आपत्ति जताई है। 

हाईकोर्टों के बहुमत की आपत्तियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी जिला न्यायाधीशों की केंद्रीकृत भर्ती प्रक्रिया की बात की थी।

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