पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने कहा, संविधान संशोधन के बगैर ‘एक देश, एक चुनाव’ संभव नहीं

By भाषा | Published: June 18, 2019 04:09 PM2019-06-18T16:09:26+5:302019-06-18T16:09:26+5:30

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे कृष्णमूर्ति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव ड्यूटी के लिए बड़ी तादाद में अर्द्धसैनिक बलों की क्षमता में बढ़ोतरी करने सहित बहुत सारे प्रशासनिक इंतजाम करने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन यह संभव है।

One nation, one election not possible sans constitutional amendment: Former CEC T S Krishnamurthy | पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने कहा, संविधान संशोधन के बगैर ‘एक देश, एक चुनाव’ संभव नहीं

पूर्व निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि यह अनुमान लगाना बड़ा कठिन है कि इस मसले पर सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनेगी या नहीं

Highlightsइसको लागू करने में सबसे बड़ी रुकावट अविश्वास प्रस्ताव और संबंधित मुद्दों से जुड़े संवैधानिक प्रावधान हैं।कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘संक्रमणकालीन प्रावधानों की भी जरूरत पड़ सकती है क्योंकि कुछ सदनों के ढाई वर्ष (के कार्यकाल) बचे होंगे तो कुछ के साढ़े चार वर्ष के बचे होंगे।’’

देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने मंगलवार को कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का विचार बहुत ही आकर्षक है, लेकिन विधायिकाओं का कार्यकाल निर्धारित करने के लिए संविधान में संशोधन किए बगैर इसे अमल में नहीं लाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को बुधवार को एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है जिनका लोकसभा अथवा राज्यसभा में एक भी सदस्य है। इस बैठक में ‘एक देश, एक चुनाव’ के अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे कृष्णमूर्ति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव ड्यूटी के लिए बड़ी तादाद में अर्द्धसैनिक बलों की क्षमता में बढ़ोतरी करने सहित बहुत सारे प्रशासनिक इंतजाम करने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन यह संभव है।

उन्होंने कहा कि इस विचार के कई लाभ हैं, लेकिन इसको लागू करने में सबसे बड़ी रुकावट अविश्वास प्रस्ताव और संबंधित मुद्दों से जुड़े संवैधानिक प्रावधान हैं। कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘इसके लिए एकमात्र रास्ता (संविधान) संशोधन है, जिसके तहत विश्वास प्रस्ताव तभी प्रभावी होगा जब कोई और व्यक्ति नेता चुना गया हो, नहीं तो पिछली सरकार चलती रहेगी।

जबतक आप सदन के लिए कार्यकाल निर्धारित नहीं करेंगे, यह संभव नहीं है ।’’ कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘संक्रमणकालीन प्रावधानों की भी जरूरत पड़ सकती है क्योंकि कुछ सदनों के ढाई वर्ष (के कार्यकाल) बचे होंगे तो कुछ के साढ़े चार वर्ष के बचे होंगे।’’

उन्होंने कहा कि चुनाव की साझा तारीख के लिए सदनों के कार्यकाल को विस्तार देने के लिए एक प्रावधान की आवश्यकता हो सकती है। पूर्व निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि यह अनुमान लगाना बड़ा कठिन है कि इस मसले पर सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनेगी या नहीं। 

Web Title: One nation, one election not possible sans constitutional amendment: Former CEC T S Krishnamurthy

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