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सड़क जाम हटाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बीकेयू ने कहा : अवरोधक दिल्ली पुलिस ने लगाए हैं, किसानों ने नहीं

By भाषा | Updated: October 21, 2021 16:44 IST

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गाजियाबाद, 21 अक्टूबर राकेश टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली- उत्तर प्रदेश की सीमा पर नवंबर 2020 से धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन और इसके समर्थकों ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रदर्शन स्थल पर अवरोधक दिल्ली पुलिस ने लगाए हैं न कि किसानों ने।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा भारतीय किसान यूनियन ने इन खबरों को भी खारिज कर दिया कि सड़कों से अवरोध हटाने पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी के बाद वह गाजीपुर बार्डर खाली कर रहा है।

न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने कहा, ‘‘किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल तक सड़क जाम नहीं कर सकते। आपको किसी भी तरीके से आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन इस तरह से सड़कें बाधित नहीं की जा सकतीं। लोगों को सड़क पर चलने का अधिकार है और इसे नहीं रोका जाना चाहिए।’’

पीठ ने नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की जिन्होंने शिकायत की थी कि प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा सड़क जाम करने से रोज आने-जाने में विलंब होता है।

अदालत ने जनहित याचिका पर किसान संगठनों को तीन हफ्ते के अंदर जवाब देने का भी निर्देश दिया है।

दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बार्डर पर नवंबर 2020 से सैकड़ों किसान तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बरकरार रखने की मांग करते हुए धरना दे रहे हैं।

प्रदर्शन शुरू होने के बाद से ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग प्रभावित हैं।

बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर अवरोधक लगाए हैं। हम यह भी मांग करते हैं कि दिल्ली पुलिस को अब उन्हें जनता के कल्याण के लिए हटा देना चाहिए।’’

उपाध्याय ने कहा, ‘‘दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान या उत्तर प्रदेश कहीं भी किसानों ने सड़कों पर अवरोधक नहीं लगाया है। सड़क पर अवरोधक लगाने का अधिकार किसानों को नहीं बल्कि पुलिस को है।’’

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (एनएच-9) गाजीपुर से टेंट हटाए जाने के सोशल मीडिया पर आए वीडियो एवं फोटो पर बीकेयू के पदाधिकारी ने कहा कि इस तरह की खबरें अफवाह हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब तक मांग पूरी नहीं होती है तब तक किसान कहीं नहीं जा रहे हैं। बैरीकेड हटाने की जिम्मेदारी पुलिस की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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