प्राचीन शबरों की भूमि एवं द्राविड, आर्य सभ्यता के परस्पर प्रभाव से बनी ओडिशा की नयी सभ्यता : पुस्तक

By भाषा | Published: April 7, 2021 04:18 PM2021-04-07T16:18:48+5:302021-04-07T16:18:48+5:30

Odisha's new civilization created by the interaction of ancient Shabd land and Dravid, Aryan civilization: book | प्राचीन शबरों की भूमि एवं द्राविड, आर्य सभ्यता के परस्पर प्रभाव से बनी ओडिशा की नयी सभ्यता : पुस्तक

प्राचीन शबरों की भूमि एवं द्राविड, आर्य सभ्यता के परस्पर प्रभाव से बनी ओडिशा की नयी सभ्यता : पुस्तक

नयी दिल्ली, 7 अप्रैल वर्तमान ओडिशा राज्य तीन प्रदेशों औड्र, उत्कल और कलिंग के संयोग से बना है जिसका विस्तार प्राचीन काल में शबरों की भूमि से शुरू हुआ और फिर द्राविड व आर्य सभ्यता के परस्पर प्रभाव से उत्पन्न नई सभ्यता के रूप में हुआ । जाने माने स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत डा. हरेकृष्ण महताब की पुस्तक ‘ओडिशा इतिहास’ में यह उल्लेख किया गया है।

हरेकृष्ण महताब फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘ओडिशा इतिहास’ के हिंदी संस्करण का लोकार्पण करेंगे। यह पुस्तक अंग्रेजी और उड़िया में उपलब्ध है ।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आयोजित एक समारोह के दौरान मोदी इस पुस्तक का विमोचन करेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और कटक से बीजू जनता दल के सांसद भर्तृहरि महताब भी उपस्थित रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि डा. हरेकृष्ण महताब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सेनानी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उल्लेखनीय राजनेताओं में से एक थे। वे 1946 से 1950 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे।

पुस्तक में ओडिशा के इतिहास का वर्णन है। इसमें कहा गया है कि द्राविड भाषा में ‘ओक्वल’ और ‘ओडिसु’ शब्द का अर्थ किसान है । कन्नड़ भाषा में किसान को ‘ओक्कलगार’ कहते हैं । मजदूरों को तेलगु भाषा में ‘ओडिसु’ कहते हैं । इन ‘ओक्कल’ और ‘ओडिसु’ शब्दों से आर्यो ने संस्कृत में ‘उत्कल’ और ओड्र’ शब्द बनाये ।

पुस्तक के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य (322 ई. पू.) की राजसभा में यूनान राजदूत मेगास्थनीज के भारत के संदर्भ में वर्णन और इतिहासकार प्लीनी के भारत के भूगोल के बारे में किए गए उल्लेख के अनुसार, कलिंग की सीमा उत्तर में गंगा, दक्षिण में गोदावरी, पश्चिम में पर्वतमाला और पूर्व में समुद्र है । चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ओड्र के बारे में लिखा कि इसकी सीमा 1167 मील थी और दक्षिण पूर्व में समुद्र स्थित था ।

इसमें कहा गया है कि गंगा के मुहाने पर द्वीप पुंज भी कलिंग साम्राज्य के अंतर्गत थे । कालक्रम में वह बार बार परिवर्तित हुए । उत्कल राज महानदी तक फैला था। कालिंग राज्य गोदावरी तक विस्तृत था । बीच में कलिंग राज्य में दो राजवंशों के बीच संघर्ष के कारण पुरी और गंजाम जिलों को लेकर नया राज्य बना ।

ओडिशा इतिहास पुस्तक के अनुसार, ‘‘ आगे चलकर उत्कल और कलिंग एक समूह हो गए। इसके बाद दोनों की भाषा, स्वर और लिपि एक हो गए ।’’

पुस्तक के प्रथम अध्याय में ओडिशा की उत्पत्ति शीर्षक के तहत कहा गया है कि लम्बे समय तक दोनों (उत्कल और कलिंग) एक शासन के अधीन रहे । कालक्रम में जीवन संघर्ष में कलिंग गोदावरी तक अपनी सीमा नहीं रख सका और उत्कल भी उत्तर में सीमा सुरक्षित न रख सका ।

डा. हरेकृष्ण महताब ने लिखा, ‘‘ इस प्रकार हजारों वर्ष तक घात प्रतिघात में तीनों इलाके वर्तमान के ओडिशा राज्य में परिचित रहे हैं । ’’

ओडिशा इतिहास पुस्तक के दूसरे परिच्छेद में अति पुरातन इतिहास शीर्षक के तहत कहा गया है कि भारत के अन्य प्रदेशों के प्राचीन इतिहास की तरह ओडिशा का इतिहास भी वैदिक- पौराणिक युग से शुरू होता है ।

इसमें कहा गया है कि वेद आदि में कहीं कलिंग, उड्र या उत्कल का नाम नहीं मिलता है। इसके बाद ‘ब्राह्मण साहित्य’ के युग में ओडिशा के किसी अंचल का नाम नहीं मिलता है । कुछ विद्वानों का मत है कि ‘ऐतरेय ब्राह्मण’ में कलिंग राजा का उल्लेख है ।

पुस्तक में बताया गया है कि महाभारत काल में 1100 ई. पू. में कलिंग की राजधानी राजपुरी का उल्लेख है । उस काल में कर्ण, दुर्योधन के चित्रांगदा के स्वयंवर में जाने व दुर्योधन की ओर से कर्ण द्वारा उत्कलियों को परास्त करने का उल्लेख है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Odisha's new civilization created by the interaction of ancient Shabd land and Dravid, Aryan civilization: book

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे