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अमित शाह ने राज्यसभा में कहा- पूरे देश में लागू किया जाएगा NRC, सभी धर्म के नागरिक होंगे सूची में शामिल

By रामदीप मिश्रा | Updated: November 20, 2019 14:42 IST

अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया को पूरे देश में लागू किया जाएगा। कोई भी हो, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, सभी को एनआरसी के तहत लाना एक प्रक्रिया है।

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ठळक मुद्देअमित शाह ने बुधवार (20 नवंबर) को राज्यसभा में एनआरसी को लेकर राज्यसभा में कहा कि हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थित को लेकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में आज सभी 195 थानों में कहीं पर धारा 144 नहीं है।

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार (20 नवंबर) को राज्यसभा में एनआरसी को लेकर राज्यसभा में कहा कि हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए इसीलिए नागरिकता संशोधन विधेयक की आवश्यकता है। एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो यह कहता हो कि इसके तहत कोई अन्य धर्म नहीं लिया जाएगा। भारत के सभी नागरिक चाहे वे किसी भी धर्म के हों, एनआरसी सूची में शामिल होंगे। एनआरसी से नागरिकता संशोधन विधेयक अलग है।

उन्होंने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया को पूरे देश में लागू किया जाएगा। कोई भी हो, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, सभी को एनआरसी के तहत लाना एक प्रक्रिया है। जिन लोगों का नाम मसौदा सूची में नहीं आया है, उन्हें ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार है। ट्रिब्यूनल पूरे असम में गठित किए जाएंगे। यदि किसी व्यक्ति के पास ट्रिब्यूनल से संपर्क करने के लिए पैसे नहीं है, तो असम सरकार वकील रखने की लागत वहन करेगी।

इससे पहले उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थित को लेकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में आज सभी 195 थानों में कहीं पर धारा 144 नहीं है। सिर्फ एहतियात के तौर पर रात को 8 बजे से सुबह 6 बजे तक कुछ थानों में लागू किया गया है। जम्मू-कश्मीर में जहां तक इंटरनेट सेवाओं को लागू करने का सवाल है तो उचित समय पर वहां के प्रशासन की अनुशंसा के आधार पर ही सुनिश्चित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में पड़ोसी देश के द्वारा बहुत सारी गतिविधियां चलती रहती है और वहां की कानून व्यवस्था और सुरक्षा को देखकर ही ये निर्णय लिया जा सकता है। जब जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को उचित समय लगेगा तो वो मीटिंग करके बताएंगे तब इस पर हम निर्ण लेंगे।

अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में मोबाइल लगभग 1995-97 के आसपास आया और कश्मीर में मोबाइल 2003 में भाजपा ने पहली बार शुरू किया तब तक सुरक्षा कारणों के कारण शुरू नहीं किया गया था। इंटरनेट भी कई सालों तक रोका गया। 2002 में वहां इंटर नेट की परमिशन दी गई।

उन्होने कहा कि जब देश की सुरक्षा, कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा का सवाल है और आतंकवाद से लड़ाई का सवाल है तब कहीं न कहीं प्रायोरिटी तय करनी पड़ती है और जैसे ही वहां के प्रशासन को उचित लगेगा हम तुरंत इस पर पुन:विचार करेंगे। कश्मीर की पूरी सामान्य स्थिति देश के सामने बताना चाहता हूं कि जहां तक कानून व्यवस्था का सवाल है तो 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर में एक भी व्यक्ति की पुलिस फायरिंग में मौत नहीं हुई है।

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में सभी 20 हजार 411 स्कूल खुले हैं, परीक्षा सुचारू रूप से हो रही है। 11वीं कक्षा के 50 हजार 537 विद्यार्थियों में 50 हजार 272 मतलब 99.48% छात्रों ने परीक्षा दी है। 10वीं और 12वीं कक्षा के 99.7% छात्रों ने परीक्षा दी।

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