अमरनाथ यात्रा के प्रति कोई फैसला नहीं, लेकिन तैयारियों में सेवाओं के मूल्य तय कर दिए
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 18, 2021 03:39 PM2021-06-18T15:39:52+5:302021-06-18T15:41:13+5:30
बीते साल भी अमरनाथ यात्रा को कोरोना संक्रमण से उपजे हालात को देखते हुए आम श्रद्धालुओं के लिए रद कर दिया गया था।
हालांकि अमरनाथ यात्रा को करवाने के प्रति अभी तक कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है जिस कारण असमंजय की स्थिति बरकरार है। पर इस असमंजस भरी स्थिति के बीच प्रशासन ने बालटाल से पवित्र गुफा तक घोड़ा, पालकी, पिट्ठू और तंबू आदि सेवाओं की मूल्य दरें तय कर दी हैं। पवित्र गुफा और पंजतरनी में रात गुजारने के लिए प्रत्येक श्रद्धालु को तंबू वालों को 780 रुपये से 1,050 रुपये बतौर किराया चुकाना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अमरनाथ यात्रा को प्रदेश सरकार ने 28 जून से शुरू करने का एलान किया था, लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू होने के साथ ही यात्रा के लिए पंजीकरण बंद कर दिया गया। इसके बाद से यात्रा को निर्धारित कार्यक्रमानुसार शुरू करने या फिर रद करने के मुद्दे पर प्रदेश सरकार ने चुप्पी साध रखी है। बीते साल भी अमरनाथ यात्रा को कोरोना संक्रमण से उपजे हालात को देखते हुए आम श्रद्धालुओं के लिए रद कर दिया गया था। सिर्फ महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में छड़ी मुबारक को ही श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में वार्षिक अनुष्ठान संपन्न करने के लिए जाने की अनुमति दी गई थी।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जुडे अधिकारियों के अनुसार, इस साल बालटाल के रास्ते सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति प्रदान करने और हेलीकाप्टर के जरिये यात्रा की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है। गत दिनों उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी कहा था कि हालात का आकलन किया जा रहा है और जल्द ही अमरनाथ यात्रा पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। घोड़ा, पालकी, पिट्ठू मजदूरों की मजदूरी तय अमरनाथ यात्रा को लेकर बने असंमजस के बीच लंगर समितियों को बालटाल से पवित्र गुफा तक लंगर लगाने की श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा अनुमति प्रदान करने के बाद संबंधित प्रशासन ने यात्रा मार्ग पर विभिन्न सेवाओं के मूल्य भी निर्धारित कर दिए हैं।
पहले लिए जा चुके आधिकारिक फैसले के मुताबिक, इस साल यात्रा शुरू होने की तारीख 28 जून प्रस्तावित है। इसमें अब मात्र 12 दिन बाकी है, लेकिन यात्रा होगी या नहीं, इसको लेकर श्राइन बोर्ड अपना रुख साफ नहीं कर रहा। लिहाजा यात्री परेशान हैं। ऐसे ही राजस्थान के 200 यात्री हैं, जो पिछले 15 साल से यात्रा पर आ रहे हैं, लेकिन इस बार यात्रा को लेकर दुविधा में है।
इन यात्रियों को लेकर जम्मू पहुंचने वाले मोती राम ने कहा कि बोर्ड की ओर से यात्रा को लेकर सही रिस्पांस नहीं मिल रहा। मोती ने बताया कि उनके क्षेत्र के 200 लोगों ने 28, 29 और 30 जून का पंजीकरण कर रखा है, लेकिन अब तक उन्हें यह नहीं मालूम कि यात्रा होनी भी है या नहीं। वह कई बार बोर्ड से संपर्क कर चुके हैं, लेकिन उनको कोई जवाब नहीं मिल रहा। जम्मू-कश्मीर सरकार को चाहिए कि वह इस पर अपना रुख साफ करे, ताकि वह लोग यात्र को लेकर अपनी तैैयारी कर सकें।