नयी दिल्ली, नौ फरवरी केंद्र ने मंगलवार को कहा कि पिछले तीन हफ्ते में सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोविड-19 से मौत का कोई नया मामला नहीं आया है। वहीं, पिछले 24 घंटे में 15 राज्यों में संक्रमण से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई।
केंद्र ने रेखांकित किया कि अंतिम राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के परिणाम से पता चला कि देश की 70 प्रतिशत आबादी के लिए संक्रमण का खतरा अभी भी बना हुआ है और टीकाकरण से ‘हर्ड इम्युनिटी’ हासिल करने की संभावना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों - अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, दादरा और नागर हवेली, मिजोरम, नगालैंड और लक्षद्वीप से पिछले तीन हफ्ते में कोविड-19 का कोई नया मामला नहीं आया है।
भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत पिछले 24 दिनों में कोविड-19 से बचाव के लिए सबसे तेजी से 60 लाख लोगों का टीकाकरण करने वाला देश बन गया है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल ने कहा कि महामारी के नजरिए से संक्रमण के नए मामलों और मौत की संख्या में लगातार कमी हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘महामारी की मौजदा स्थिति संतोषजनक है। देश में कोविड-19 से मौत के 100 से कम मामले आ रहे हैं । दिल्ली में भी पिछले 24 घंटे में किसी की मौत नहीं हुई।’’
टीकाकरण शुरू होने के बाद से 65.28 लाख स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों का टीकाकरण हो चुका है।
पॉल ने कहा, ‘‘संक्रमण के जरिए नहीं बल्कि टीकाकरण से हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाने की संभावना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘टीकाकरण के बाद से दुष्प्रभाव के 4333 मामले आए हैं। इसका मतलब है कि 1400 में एक मामला आया।’’
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि कोविड-19 के टीकाकरण अभियान में देश में कुछ राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है वहीं कुछ राज्यों को अभी सुधार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 65 प्रतिशत से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण हुआ है। इनमें बिहार (78.1 प्रतिशत), त्रिपुरा (77.1 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (76 प्रतिशत), उत्तराखंड (73.7 प्रतिशत), ओडिशा (72.4 प्रतिशत), मिजोरम (69.9 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (68.7 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (68 प्रतिशत), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (67.9 प्रतिशत), राजस्थान (67.2 प्रतिशत), केरल (66.9 प्रतिशत), लक्षद्वीप (66.7 प्रतिशत) हैं।’’
भूषण ने कहा कि दूसरी तरफ 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 40 प्रतिशत से कम स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण हुआ है। इनमें पुडुचेरी (15.4 प्रतिशत), मणिपुर (21.3 प्रतिशत), नगालैंड (21.5 प्रतिशत), मेघालय (24.3 प्रतिशत), चंडीगढ़ (28.7 प्रतिशत), पंजाब (34.1 प्रतिशत), दादरा और नागर हवेली (34.5 प्रतिशत), लद्दाख (35.8 प्रतिशत), जम्मू कश्मीर (37.5 प्रतिशत) और दिल्ली (38 प्रतिशत) हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इन राज्यों के साथ लगातार संपर्क में हैं और उनसे टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने को कहा गया है।’’
भूषण ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि एक मार्च तक अग्रिम मोर्चे के सभी कर्मियों का एक बार टीकाकरण हो जाना चाहिए।
भूषण ने कहा कि पांच फरवरी को राष्ट्रीय (टीकाकरण के बाद दुष्प्रभाव जानने के लिए) एईएफआई कमेटी की बैठक में कोविड-19 टीकाकरण के बाद एईएफआई के आठ मामलों पर चर्चा की गयी। उन्होंने कहा, ‘‘इन आठ मामलों में पांच मामलों (दो लोगों की मौत, तीन भर्ती) का विश्लेषण किया गया। अस्पताल में भर्ती किए गए सभी लोगों को छुट्टी दे दी गयी। दो लोगों में एनाफिलिक्स (टीकाकरण के बाद प्रतिक्रिया) का पता चला। ’’
उन्होंने कहा कि अन्य मौतों में टीकाकरण से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया। इस बारे में आगे सूचना सार्वजनिक की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के स्वरूप का मामला भारत में नहीं आया है लेकिन निगरानी की जा रही है। भूषण ने कहा कि 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 5,000 से कम उपचाराधीन मरीज हैं।
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