पटना: केंद्र में सत्ताधारी एनडीए से नाता तोड़ने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी सरकार पर खासा हमलावर हैं। 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी को संशय की निगाह देखने वाले नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि साल 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद जदयू ने केंद्रीय मंत्रीमंडल में चार मंत्री पद देने की मांग की थी, जिसे भाजपा द्वारा ठुकरा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि इतने अपमान के बाद भी गठबंधन धर्म को निभाते हुए जदयू केंद्र सरकार में शामिल हुई लेकिन वो कह रहे हैं कि हमने गठबंधन धर्म का पालन किया। क्या उन्होंने 2019 में मंत्रीमंडल गठन के समय गठबंधन धर्म के विषय में सोचा था।
इसके साथ ही नीतीश कुमार ने स्पष्ट और तीखे लहजे में यह भी कहा कि पिछले साल जदयू कोटे से केंद्र सरकार में शामिल होने के लिए आरसीपी सिंह के नाम पर उन्होंने सहमति नहीं थी।
उन्होंने कहा, "मैंने 2019 में कहा था कि हमें केंद्र में कम से कम चार मंत्री पद मिलना चाहिए। संसद में हमारे पास 16 सांसद थे और उनके पास हमसे केवल एक ज्यादा सांसद था। चार से कम पर सहमत होने से बिहार में एक बुरा संदेश जाएगा, जहां से उन्होंने पांच लोगों को शामिल किया था। इसलिए हमने केंद्र में शामिल होने के लिए मना कर दिया था।”
जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के उस बयान का हवाला देते हुए प्रश्न किया गया, जिसमें सुशील मोदी ने कहा था कि आरसीपी सिंह को केंद्र में शामिल होने के लिए नीतीश कुमार की सहमति ली गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी के बयान का स्पष्ट खंडन करते हुए कहा, "यह पूरी तरह से असत्य है, मेरी कोई सहमति नहीं ली गई थी।"
नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए यहां तक कहा, "आरसीपी सिंह उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और मेरी उस मामले में कोई सहमति नहीं थी। यही वजह है कि मैंने उन्हें छह महीने बाद पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के लिए कह दिया था।" (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)