अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में निर्मोही अखाड़े ने अधिग्रहित भूमि छोड़ने के केंद्र सरकार की अपील का किया विरोध
By विनीत कुमार | Published: April 9, 2019 10:54 AM2019-04-09T10:54:22+5:302019-04-09T11:19:57+5:30
निर्मोही अखाड़ा ने कहा है कि सरकार की ओर से जमीन के अधिग्रहण से उन कई मंदिरों को नुकसान पहुंचा है जिसका प्रबंधन वह करती थी।
निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अयोध्या में अधिग्रहित भूमि छोड़ने के केंद्र सरकारी की अपील का विरोध किया है। अखाड़े ने कहा है कि सरकार की ओर से जमीन के अधिग्रहण से उन कई मंदिरों को नुकसान पहुंचा है जिसका प्रबंधन वह करती थी। निर्मोही अखाड़े ने साथ ही कहा है कि इस भूमि विवाद का फैसला कोर्ट को ही करना चाहिए।
अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल में मध्यस्थता पैनल बनाने के बाद यह नया मोड़ है। बता दें कि जनवरी के आखिर में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर अयोध्या में जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को देने की बात कही थी। सरकार का कहना है कि 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखा है। सरकार ने कहा था कि जमीन का विवाद केवल 2.77 करोड़ का है ऐसे में बाकी जमीन पर यथास्थिति बरकार रखने की कोई जरूरत नहीं है।
Nirmohi Akhara files an application in the Supreme Court opposing Centre’s request to release excess land acquired in Ayodhya. Akhara says acquisition of land by the government had led to destruction of many temples managed by the Akhara. So it wants Court to decide title dispute
— ANI (@ANI) April 9, 2019
बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में निर्मोही अखाड़ा भी एक पक्ष है। अयोध्या विवाद 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस मसले पर एक फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। हाई कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़े 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा था। इसे हाई कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और रामलाल विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला दिया था।