वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का अरविंद केजरीवाल पर पलटवार, कहा- मुफ्त में सौगात की चर्चा को दे रहे 'अनुचित मोड़'
By मनाली रस्तोगी | Published: August 12, 2022 07:35 AM2022-08-12T07:35:06+5:302022-08-12T07:36:45+5:30
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि वह लोगों को मुफ्त में सौगात दिये जाने पर चर्चा को ‘अनुचित मोड़’ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप नेता शिक्षा और स्वास्थ्य को इस मामले में शामिल कर लोगों के मन में डर पैदा करने का एक प्रयास कर रहे हैं।
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस आरोप का खंडन करते हुए मुफ्त उपहारों के वितरण पर बहस की मांग की है कि केंद्र सरकार केवल कॉरपोरेट जगत में अपने दोस्तों के बीच उदारता का वितरण करती है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल मुफ्त में सौगात पर होने वाली बहस को 'अनुचित मोड़' दे रहे हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "स्वास्थ्य और शिक्षा को कभी भी मुफ्त नहीं कहा गया। किसी भी भारत सरकार ने उन्हें कभी मना नहीं किया है। इसलिए शिक्षा और स्वास्थ्य को मुफ्त में वर्गीकृत करते हुए केजरीवाल गरीबों के मन में चिंता और भय की भावना लाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले पर सच्ची बहस होनी चाहिए।"
Arvind Kejriwal is giving a perverse twist to freebies on Health and Education. This is to scare the public. We want a debate and discussion on freebies: Finance Minister Nirmala Sitharaman
— ANI (@ANI) August 11, 2022
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सीतारमण ने यह बात केजरीवाल के एक दिन पहले दिए गए बयान के बाद कही है। केजरीवाल ने बुधवार को इस बात पर जनमत संग्रह कराए जाने की मांग की कि करदाताओं का धन स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी गुणवत्तापूर्ण सेवाओं पर खर्च किया जाना चाहिए या 'किसी एक परिवार' अथवा 'किसी के मित्रों' पर यह धन खर्च होना चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से चाहे किसी की भी सरकार क्यों न हो, इन दोनों चीजों (शिक्षा और स्वास्थ्य) पर खर्च को कभी भी मुफ्त नहीं कहा गया है। इन्हें अब चर्चा में घसीटना पूरे मामले को 'गलत मोड़' देने जैसा है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "दिल्ली के मुख्यमंत्री ने लोगों को मुफ्त में सौगात दिए जाने पर चर्चा को अनुचित मोड़ दिया है। स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च को कभी भी मुफ्त में दी जाने वाली चीजें नहीं कहा गया है।"
सीतारमण ने कहा, "आजादी के बाद से चाहे किसी की भी सरकार क्यों न हो, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च को कभी भी मुफ्त नहीं कहा गया है। इन दोनों चीजों को मुफ्त में वर्गीकृत करके केजरीवाल गरीबों के मन में चिंता और भय की भावना लाने की कोशिश कर रहे हैं।" उल्लेखनीय है कि हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न दलों में 'रेवड़ी' (मुफ्त सौगात) बांटने जैसी लोकलुभावन घोषणाओं के चलन की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा था कि यह न केवल करदाताओं के पैसे की बर्बादी है बल्कि एक आर्थिक आपदा भी है जो भारत के आत्मनिर्भर बनने के अभियान को बाधित कर सकती है। प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी को दरअसल आम आदमी पार्टी (आप) जैसे दलों में मुफ्त में चीजें दिए जाने की घोषणा के संदर्भ में देखा गया। हाल के दिनों में पंजाब जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली और पानी तथा अन्य चीजें देने का वादा किया गया था।
सीतारमण ने कहा कि इस मुद्दे पर सही तरीके से बहस होनी चाहिए और इसमें सभी को शामिल होना चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री की मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर टिप्पणियों का जवाब देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि किसी ने भी नहीं कहा है कि मुफ्त में गरीबों को कुछ देना गलत है। लेकिन कर्ज को बट्टे खाते में डालने को मुफ्त सौगात की श्रेणी में रखना या यह कहना कि कंपनी कर में कटौती कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिये की गई है, सरासर गलत है।
सूत्र ने कहा कि कर्ज को बट्टे खाते में डालना रिजर्व बैंक की जरूरतों के अनुसार एक तकनीकी प्रक्रिया है। इसमें वसूली प्रक्रिया जारी रहती है। उन्होंने कहा कि राज्यों को नागरिकों को मुफ्त सौगात देने से पहले अपने राजस्व की स्थिति को देखना चाहिए और उसके अनुसार निर्णय करने चाहिए।
(भाषा इनपुट के साथ)