नरेन्द्र मोदी सरकार 5 जुलाई 2019 को पूर्ण बजट 2019-20 पेश करने वाली है। देश में पहली बार पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण बजट 2010-20 की तैयारियों में लग गई हैं। इसी क्रम में उन्होंने आज (11 जून) को दिल्ली में बजट से पहले इंडस्ट्री, सर्विस और ट्रेड के स्टेकहोल्डर्स के साथ की बैठक की। बैठक में सीतारमण ने उनकी सुझाव और समस्याओं को सुना। निर्मला सीतारमण की अर्थशास्त्रियों, बैंक अधिकारियों, वित्तीय संस्थानों और उद्योग मंडलों के साथ बैठक का पहला दिन था।
वित्त मंत्री 23 जून तक अर्थशास्त्रियों, बैंक अधिकारियों, वित्तीय संस्थानों और उद्योग मंडलों के लोगों के साथ बैठक करेंगी। इसी बीच 20 जून को निर्मला सीतारमण सभी राज्यों के वित्त मंत्री से जीएसटी परिषद की होने वाली बैठक में भी बजट को लेकर सुझाव मागेंगी।
सोशल मीडिया पर निर्मला सीतारमण ने बजट को लेकर आम लोगों से मांगे सुझाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्ण बजट के लिए सोशल मीडिया पर आम लोगों से सुझाव भी मांगे हैं। निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, 'स्कॉलर्स, इकोनॉमिस्ट्स और कोई भी जिनकी दिलचस्पी हो वो प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के जरिए अपने सुझाव दे सकते हैं, मैं उन्हें पढ़ती हूं और मेरी टीम उन सुझावों को इकट्ठा करेगी, आपका हर सुझाव बहुमूल्य है।'
इसी बीच वित्त मंत्रालय ने आम लोगों से भी बजट में क्या-क्या नए प्रावधान होने चाहिए, इसके लिए सुझाव मांगे हैं। भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर सुझाव दिए जा सकते हैं। आम लोग अपने सुझाव 20 जून तक भेज सकते हैं।
सीतारमण की बजट टीम में वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन शामिल हैं। आधिकारिक टीम के अगुवा वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग हैं। इसमें वित्त सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय, दीपम के सचिव अतनु चक्रवर्ती और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार शामिल हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बजट होगा। सत्रवहीं लोकसभा का पहला सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलने वाला है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एक फरवरी 2019 को पेश किया था।
बजट को लेकर सीतारमण के सामने चुनौतियां
सीतारमण को अपने बजट में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के समक्ष तरलता के संकट जैसी वित्तीय चुनौतियों, रोजगार सृजन, निजी निवेश, निर्यात में सुधार, कृषि संकट तथा राजकोषीय दबाव को नियंत्रित रखते हुए सार्वजनिक खर्च बढ़ाने जैसी चुनौतियां होंगी। वित्त वर्ष 2019-20 के लिये आर्थिक समीक्षा बजट से एक दिन पहले चार जुलाई को जारी होगी।