एनजीटी ने उप्र में यमुना कछार क्षेत्र में ठोस कचरे डालने के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए
By भाषा | Published: January 23, 2021 07:25 PM2021-01-23T19:25:31+5:302021-01-23T19:25:31+5:30
नयी दिल्ली, 23 जनवरी राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तरप्रदेश के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यमुना के कछार क्षेत्र में अनियमित तरीके से ठोस कचरा डंप करने के खिलाफ कार्रवाई करें और कहा कि कचरे के निस्तारण के लिए उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पांच वर्ष से अधिक समय तक निगरानी करने और कठोर कदम उठाने के बावजूद कोई प्रगति नहीं दिखी है।
पीठ ने कहा, ‘‘पर्यावरण का उल्लंघन आपराधिक कानून के उल्लंघन की माफिक ही गंभीर है। इस तरह के अपराधों को रोकने में अधिकारियों की विफलता नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे अधिकारियों में जनता के विश्वास की विफलता है।’’
इसने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह की विफलता के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों ने गंभीर कदम नहीं उठाए जो दुर्भाग्यपूर्ण है, जिससे लोग कानून का उल्लंघन करने वालों की मर्जी पर हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कंपोस्ट संयंत्र का जल्द से जल्द संचालन किया जाएगा।’’
एनजीटी ने कहा कि इस प्रक्रिया में अलग किए गए पदार्थों का उचित निस्तारण किया जाएगा और अपरिष्कृत कचरे का ढेर नहीं लगाया जाए।
अधिकरण ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली निगरानी समिति की अनुशंसाओं को स्वीकार कर लिया और उत्तरप्रदेश प्रशासन को निर्देश दिया कि पर्यावरण संरक्षण एवं जन स्वास्थ्य के हित में वह कदम उठाए।
संत मधुमंगल शुक्ला की याचिका पर यह निर्देश आया है जिन्होंने एनजीटी का दरवाजा खटखटाकर वृंदावन में ‘‘अवैध’’ और ‘‘अनियमित’’ ठोस कचरे के निस्तारण का आग्रह किया।
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