NExT Exam for MBBS: राष्ट्रीय निकास परीक्षा का विरोध शुरू, सीएम स्टालिन ने कहा-विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जानें क्या है एनईएक्सटी, विरोध आखिर क्यों
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 13, 2023 04:55 PM2023-06-13T16:55:19+5:302023-06-13T16:56:23+5:30
NExT Exam for MBBS: मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से कहा कि इससे विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों की ‘भूमिका को कम करने की एक और कोशिश है।”
NExT Exam for MBBS: तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रीय निकास परीक्षा (एनईएक्सटी) का मंगलवार को कड़ा विरोध किया। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से कहा कि इससे विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों की ‘भूमिका को कम करने की एक और कोशिश है।”
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) अधिनियम के मुताबिक, एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए एनईएक्सटी इम्तिहान साझा योग्यता परीक्षा के तौर पर होगा। साथ में यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए योग्यता आधारित परीक्षा एवं विदेश से पढ़कर आए और भारत में प्रैक्टिस करने की मंशा रखने वालों के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा का काम करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के वास्ते किसी भी रूप में नीट (राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा) और एनईएक्सटी की शुरुआत का लगातार विरोध करती रही है।
मुख्यमंत्री ने मोदी से कहा, “ एनएमसी अधिनियम के तहत नीट आधारित मेडिकल प्रवेश प्रणाली ने पहले ही समान, स्कूली शिक्षा आधारित चयन प्रक्रिया और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में इसके योगदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।” उन्होंने कहा, “ इस मोड़ पर, एनईएक्सटी की प्रस्तावित शुरुआत निश्चित रूप से इस प्रवृत्ति को बढ़ाएगी और ग्रामीण और सामाजिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों और राज्य सरकारों के तहत आने वाले सरकारी संस्थानों के हितों के लिए एक अपूरणीय क्षति का कारण बनेगी।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सभी राज्यों में एनएमसी द्वारा निर्धारित मानदंडों के तहत मेडिकल शिक्षा का पाठ्यक्रम पहले से ही तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित राज्य मेडिकल विश्वविद्यालयों द्वारा पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण और परीक्षा प्रणाली की सतर्कता से निगरानी की जाती है।
मान्यता प्राप्त कॉलेजों में एमबीबीएस के विद्यार्थियों को कठोर प्रशिक्षण और परीक्षाओं के बाद ही डिग्री प्रदान की जाती है। स्टालिन ने प्रधानमंत्री से कहा, “ ऐसी स्थिति में इस तरह की सामान्य निकास परीक्षा की शुरुआत निश्चित रूप से विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ डालेगी। हमारे मेडिकल विद्यार्थियों पर शिक्षा के अधिक बोझ और तनाव को देखते हुए इससे पूरी तरह से बचने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अनिवार्य निकास परीक्षा की शुरुआत से ‘क्लिनिकल लर्निंग’ में भी बाधा आएगी, जो एमबीबीएस स्नातकों के लिए अहम है। स्टालिन ने कहा, “एनईएक्सटी की शुरूआत न तो विद्यार्थियों के हित में है और न ही राज्य सरकारों के हित में है जो अधिकांश मेडिकल संस्थानों का वित्तपोषण करती हैं।
यह कदम स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों की भूमिका को कम करने और केंद्र सरकार में शक्तियों को केंद्रीकृत करने का एक और प्रयास प्रतीत होता है।” स्टालिन ने प्रधानमंत्री से कहा, “मैं एक बार फिर अनुरोध करता हूं कि एनईएक्सटी को शुरू नहीं किया जाना चाहिए और मौजूदा व्यवस्था को जारी रखा जाना चाहिए।” एनईएक्सटी अगले साल आयोजित किया जाएगा और दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान इसे आयोजित किया जा सकता है।