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नई संसद के सदन में पीएम मोदी ने 75 रुपए के विशेष सिक्के और डाक टिकट जारी किए, कहा- यह सिर्फ भवन नहीं, 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है

By अनिल शर्मा | Updated: May 28, 2023 13:26 IST

पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी यात्रा शुरू की। कितनी ही उतार-चढ़ाव और चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। यह विकास के नए आयाम को गढ़ने का अमृतकाल है। देश को नई दिशा देने का अमृतकाल है। आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है। 

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री ने कहा कि आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व पंथ प्रार्थना हुई है।ह सिर्फ भवन नहीं है यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। हमें खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से लैस है।

नई दिल्लीः नए संसद भवन के दूसरे चरण के उद्घाटन समारोह में संसद भवन से वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए 75 रुपए के विशेष सिक्के जारी किए। पीएम ने इस दौरान एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। नए भवन के सदन में अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व पंथ प्रार्थना हुई है। मैं सभी देशवासियों को इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं। यह सिर्फ भवन नहीं है यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुराने भवन में तकनीकी, बैठने की जगह, बीते दो दशकों में ये चर्चा हो रही थी कि देश को एक नए संसद भवन की आश्वयकता है। आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी, सांसदों की संख्या बढ़ेगी। वे लोग कहां बैठते। 

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमें खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इस समय सूरज का प्रकाश सीधे आ रहा है। बिजली का इस्तेमाल कम हो। डिजिटल गैजेट का इस्तेमाल ज्यादा हो। इसने 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया। इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी बनाई गई है। संसद के निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया।

प्रधानमंत्री ने भारत के गौरव का जिक्र करते हुए कहा कि भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि एक संसस्था है। यह एक विचार है, एक परंपरा है। हमारे वेद हमें सभाओं समितियों के आदत सिखाते हैं। महाभारत जैसे ग्रंथों, वैशाली जैसे गणतंत्रों को जीकर दिखाया है। तमिलनाडु में मिला 19वीं शिलालेख हर किसी को हैरान कर देता है। हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है संविधान हमारा संकल्प है। 

ये संसद देश की समृद्ध देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। उसका उद्घोष करती है। यह सौभाग्य है कि सेंगोल की गरिमा लौटा सके। जो रुक जाता है उसका भाग्य भी रुक जाता है। इसलिए चलते रहो। गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी यात्रा शुरू की। कितनी ही उतार-चढ़ाव और चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। यह विकास के नए आयाम को गढ़ने का अमृतकाल है। देश को नई दिशा देने का अमृतकाल है। आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है। 

सांसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की जो विविधता है। उसको समाहित किया है। यूपी में भदोही के कारिगरों ने अपने हाथ से कालीनों को बुना है। इस भवन के कण-कण में एक भारत श्रेष्ठ भारत की गरिमा का अनुभव होता है।

 

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