JNU VC प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी ने ट्विटर अकाउंट होने से इनकार किया, कहा- मेरे खिलाफ साजिश रची गई

By विशाल कुमार | Published: February 9, 2022 07:19 AM2022-02-09T07:19:58+5:302022-02-09T07:58:49+5:30

ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था, भारतीय ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर बीमार जिहादी बताया गया था।

never-had-a-twitter-account-conspiracy-against-me-jnu-v-c santishree dhulipudi pandit | JNU VC प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी ने ट्विटर अकाउंट होने से इनकार किया, कहा- मेरे खिलाफ साजिश रची गई

JNU VC प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी ने ट्विटर अकाउंट होने से इनकार किया, कहा- मेरे खिलाफ साजिश रची गई

Highlightsट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था।पंडित ने कहा कि ऐसा पाया गया कि यह हैक हो गया था और जेएनयू के अंदर के ही किसी ने यह काम किया।उन्होंने कहा कि मीडिया मेरे साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों कर रहा है?

नई दिल्ली: अपने नाम के एक असत्यापित ट्विटर हैंडल से किए गए विवादित ट्वीट्स पर विवाद खड़ा होने के बाद जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की नवनियुक्त कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित ने मंगलवार को दावा किया कि उनके पास कभी भी ट्विटर अकाउंट नहीं था।

ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था, भारतीय ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर बीमार जिहादी बताया गया था। विवाद को बढ़ते देख उस ट्विटर हैंडल को ही डिलीट कर दिया गया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पंडित ने कहा कि मेरे पास ट्विटर अकाउंट नहीं था। ऐसा पाया गया कि यह हैक हो गया था और जेएनयू के अंदर के ही किसी ने यह काम किया। बात यह है कि कई लोग नाखुश हैं कि मैं पहली महिला कुलपति हूं। उन्होंने कहा कि उन्हें जेएनयू के लोगों की कथित संलिप्तता के बारे में विश्वसनीय सूत्रों से पता चला था।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह ट्विटर अकाउंट कभी उनका नहीं था उन्होंने कहा कि कभी नहीं, मेरा कभी नहीं था। मेरी बेटी एक साइबर-सिक्योरिटी इंजीनियर है। छह साल पहले, उसने मेरे लिए इसे बंद कर दिया था क्योंकि वह अमेरिका में कुछ नौकरियों के लिए आवेदन कर रही थी और उसने मुझसे कहा था कि मां, आप किसी भी सोशल मीडिया साइट पर नहीं रहेंगी। मैं सोशल मीडिया पर बिल्कुल भी सक्रिय नहीं हूं।

उन्होंने कहा कि मीडिया मेरे साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों कर रहा है? सिर्फ इसलिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नई परंपरा शुरू करने में लेफ्ट को पीछे छोड़ दिया, जो लेफ्ट नहीं कर सका।

मैं समाज के वंचित तबके और दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की महिला हूं। इतने सालों में वामपंथियों ने ऐसा क्यों नहीं किया? सत्तर साल वे सत्ता में थे। वे जेएनयू में नहीं कर सके? यह उनका अड्डा (हब) है।

पीआईओ (भारतीय मूल के व्यक्ति) छात्रों को प्रवेश देते समय नियमों का पालन नहीं करने का दोषी पाए जाने के बाद उन्हें कार्रवाई का सामना करने और मंत्रालय को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय की सतर्कता रिपोर्ट सौंपे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी। पुणे विश्वविद्यालय ने पहचान की राजनीति की क्योंकि मैं एक गैर-महाराष्ट्रियन थी जिसने प्रबंधन परिषद का चुनाव जीता था। फिर साजिश की गई कि मुझे कोई पद न मिले। मैने प्रबंधन परिषद का चुनाव दक्षिणपंथ की ओर से जीता था और 2001 से दक्षिणपंथ से मैं अकेली थी।

वहीं, व्याकरण की गलतियों को लेकर भाजपा सांसद वरुण गांधी द्वारा आलोचना किए जाने पर उन्होंने कहा कि मैं पत्र लिखवाया था लेकिन पिछले कुलपति के कर्मचारियों ने उसे लिखा और देखा था। आज मैंने कार्यालय के कर्मचारियों से कहा कि यदि आप अंग्रेजी नहीं जानते हैं, तो आपको मुझे बताना चाहिए था कि आप अंग्रेजी नहीं जानते हैं। लेकिन कोई नहीं कहता कि वे नहीं जानते। मेरे पास अभी कोई टीम नहीं है। मैंने दोबारा लिखकर आज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर लगाया है।

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