नेताजी बोस से लेकर सीताराम केसरी तक, कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर कब-कब मचा घमासान!

By आदित्य द्विवेदी | Published: May 31, 2019 07:23 AM2019-05-31T07:23:05+5:302019-05-31T07:23:05+5:30

लोकसभा चुनाव 2019 में करारी शिकस्त मिलने के बाद कांग्रेस पार्टी में उथल-पुथल जारी है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की है। 134 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर पहले भी हंगामा मच चुका है।

Netaji Bose to Sitaram Kesri, controversy around Congress president’s post | नेताजी बोस से लेकर सीताराम केसरी तक, कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर कब-कब मचा घमासान!

नेताजी बोस से लेकर सीताराम केसरी तक, कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर कब-कब मचा घमासान!

Highlightsराहुल गांधी 2017 में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। वो आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी के 16वें और गांधी-नेहरू परिवार के छठवें अध्यक्ष हैं।नेताजी सुभाष चंद्र बोस से लेकर सीताराम केसरी तक, ऐसे कई मौके आए जब अध्यक्ष पद की कुर्सी विवादों में आ गई।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी संगठन में उथल-पुथल मच गई। हार की जिम्मेदारी लेते हुए कई प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफे के बीच राहुल गांधी ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी को मनाने की कोशिश की लेकिन वो अपने फैसले पर अड़े हुए हैं। 

राहुल गांधी 2017 में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। वो आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी के 16वें और गांधी-नेहरू परिवार के छठवें अध्यक्ष हैं। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से जुड़ा यह पहला विवाद नहीं है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से लेकर सीताराम केसरी तक, ऐसे कई मौके आए जब अध्यक्ष पद की कुर्सी विवादों में आ गई।

जब गांधी जी ने नेताजी पर डाला इस्तीफे का दबाव

साल 1938 में गुजरात के हरिपुरा में कांग्रेस पार्टी का 58वां वार्षिक अधिवेशन हुआ। इसमें सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। बोस की जीत में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल का समर्थन हासिल था। एक साल बाद पार्टी के त्रिपुरा अधिवेशन में बोस ने महात्मा गांधी से बगावत करते हुए दोबारा चुनाव के लिए दावेदारी पेश की। इतिहासकारों का मानना है कि महात्मा गांधी के विरोध के बावजूद बोस 205 वोटों से यह चुनाव जीत गए।

महात्मा गांधी ने एक भावनात्मक टिप्पणी की और लिखा ये मेरी हार है। गांधी का नैतिक दबाव कारगर रहा और इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने इस्तीफे देने शुरू कर दिए। अंततः दबाव में बोस को इस्तीफा देना पड़ा।

नेहरू-पटेल के मतभेद में टंडन का इस्तीफा

1949 के आखिरी दिनों की बात है। नेहरू और पटेल के बीच मतभेद उजागर हो चुके थे। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पटेल ने पुरुषोत्तम दास टंडन के नाम का सुझाव दिया लेकिन नेहरू ने इसका विरोध किया। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब इंडिया ऑफ्टर गांधी में लिखा है कि नेहरू ने हिंदी थोपने को लेकर टंडन की आलोचना की थी। नेहरू के विरोध के बावजूद टंडन ने 1950 के अधिवेशन में चुनाव जीत लिया। नेहरू इस बात से आहत हो गए और इस्तीफे तक की धमकी दे डाली।

इस घटना के कुछ महीने बाद सरदार पटेल की मौत हो गई। नेहरू से मतभेद के चलते टंडन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। 8 सितंबर 1951 को एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें नेहरू को कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया।

जब केसरी हुए बेदखल

1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की अध्यक्षता का सवाल खड़ा हो गया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोनिया गांधी से निवेदन किया लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। नरसिम्हा राव ने पार्टी की कमान संभाली। 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन निराशाजनक रहा और राव को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। सीताराम केसरी को पार्टी की कमान दी गई। दूसरी तरफ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से पार्टी संभालने का निवेदन कर रहे थे। 

केसरी अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष थे लेकिन उनके ऊपर सोनिया गांधी के लिए पद छोड़ने का दबाव था। 14 मार्च 1998 को केसरी 24 अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंची। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में केसरी की सेवा के लिए धन्यवाद भाषण का प्रस्ताव पढ़ा जाने लगा। गुस्से में तमतमाए केसरी मीटिंग छोड़कर बाहर निकल आए। इसके बाद सोनिया गांधी ने 19 साल तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली और सबसे लंबे वक्त तक पार्टी अध्यक्ष का तमगा पाया। 2017 में राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया।

गांधी-नेहरू परिवार के 6 सदस्य बने पार्टी अध्यक्ष

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का गठन साल 1885 में हुआ था। इस पार्टी के स्थापना के 134 साल हो चुके हैं। इस दौरान 60 लोगों ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली, जिसमें 6 लोग गांधी-नेहरू परिवार से हैं। कांग्रेस के पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी थे और इस वक्त अध्यक्ष पद की कमान राहुल गांधी के पास है। 134 साल पुरानी इस पार्टी की कमान 43 साल तक गांधी-नेहरू परिवार के हाथों में रही है। इसमें मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस पार्टी को मिली हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे की चर्चा चल रही है।

Web Title: Netaji Bose to Sitaram Kesri, controversy around Congress president’s post

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