'पोस्को एक्ट सभी धर्मों पर होता है लागू', 16 साल की मुस्लिम लड़की की शादी पर एनसीपीसीआर ने क्या रखी दलील और क्या है पूरा मामला जानिए

By विनीत कुमार | Published: October 18, 2022 12:28 PM2022-10-18T12:28:09+5:302022-10-18T12:50:07+5:30

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) 16 साल की मुस्लिम लड़की की अपनी पसंद के लड़के से शादी के मामले में विरोध जताते हुए कहा है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम के खिलाफ है। एनसीपीसीआर ने तर्क दिया है कि यह POCSO एक्ट के भी खिलाफ है।

NCPCR opposed marriage of 16 yr old Muslim girl in Supreme Court, says POCSO a secular law, applies to all | 'पोस्को एक्ट सभी धर्मों पर होता है लागू', 16 साल की मुस्लिम लड़की की शादी पर एनसीपीसीआर ने क्या रखी दलील और क्या है पूरा मामला जानिए

'पोस्को एक्ट सभी धर्मों पर होता है लागू', 16 साल की मुस्लिम लड़की की शादी पर एनसीपीसीआर ने क्या रखी दलील और क्या है पूरा मामला जानिए

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान दलील रखी कि लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) एक धर्मनिरपेक्ष कानून है और नाबालिगों के बीच विवाह की अनुमति देने वाले सभी परंपरागत मान्यताओं को खत्म करता है।

केंद्रीय महिला और बाल मंत्रालय के तहत आने वाले इस बाल अधिकार निकाय ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अपील में यह तर्क दिया। दरअसल, हाई कोर्ट ने अपने 13 जून के आदेश में कहा था कि 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए सक्षम है। 

यह मामला 21 साल के एक शख्स और एक 16 साल की लड़की की याचिका से जुड़ा है जिसमें दोनों ने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। इनका कहना है कि वे एक दूसरे से प्यार करते हैं और उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी की है।

कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एनसीपीसीआर ने कहा कि हाई कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की की शादी की वैधता पर अपने निर्णय में शीर्ष अदालत द्वारा पहले से निर्धारित वैधानिक प्रावधानों और कानूनी सिद्धांतों की अनदेखी की। एनसीपीसीआर ने कहा कि यह आदेश न केवल पॉक्सो की अवहेलना था, बल्कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 की भी अवहेलना है।

सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई के लिए तैयार

बहरहाल, उच्चतम न्यायालय एनसीपीसीआर की याचिका पर सोमवार को विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें नाबालिग मुस्लिम लड़की के अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकने संबंधी पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। 

जस्टिस एस.के. कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने नोटिस जारी किया और वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को अदालत की सहायता के लिए विषय में न्याय मित्र नियुक्त किया। पीठ ने कहा, ‘‘इस विषय पर विचार किये जाने की जरूरत है।’’ 

एनसीपीसीआर की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यह एक गंभीर मुद्दा है और फैसले में किये गये अवलोकन पर रोक लगाने की मांग की। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह मुद्दे पर विचार करेगा और विषय की सुनवाई को सात नवंबर के लिए निर्धारित कर दिया। उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ ने 13 जून को पठानकोट (पठानकोट) की एक मुस्लिम दंपती की याचिका पर आदेश जारी किया था। 

इससे पहले दंपति की याचिका पर उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले में विचारार्थ मुद्दे विवाह की वैधता के बारे में नहीं हैं, बल्कि याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता के खतरे की आशंका को लेकर उनके द्वारा जताई गई आशंका से जुड़ा हुए हैं। इसने पठानकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व पर फैसला करने और कानून के मुताबिक आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। 

Web Title: NCPCR opposed marriage of 16 yr old Muslim girl in Supreme Court, says POCSO a secular law, applies to all

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