एनसीईआरटी ने एसजीपीसी के एतराज पर 12वीं की पाठ्यपुस्तक से हटाया खालिस्तान का विवादित संदर्भ
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 31, 2023 12:23 PM2023-05-31T12:23:58+5:302023-05-31T12:48:15+5:30
एसजीपीसी द्वारा एनसीईआरटी के कक्षा 12वीं के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में जताए गये खालिस्तान के संदर्भ में आपत्ति के बाद 'एक अलग सिख राष्ट्र खालिस्तान' की मांग के उल्लेख को हटा दिया गया है।
दिल्ली: सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के कक्षा 12वीं के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में जताए गये खालिस्तान के संदर्भ में आपत्ति के बाद एनसीईआरटी के बाद 'एक अलग सिख राष्ट्र खालिस्तान' की मांग के उल्लेख को हटा दिया है।
समाचार वेबसाइट जी न्यूज के अनुसार एसजीपीसी ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में सिखों के बारे में जिन ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख किया है, वह गलत तरीके से छात्रों के बीच में परोसे जा रहे हैं। एसजीपीसी की यह आपत्ति आनंदपुर साहिब संकल्प के संबंध में उठाया गया है, जिसका उल्लेख "स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति" पुस्तक में है।
किताब से हटाए गए वाक्य हैं, "आनंदपुर साहिब संकल्प संघवाद को मजबूत करने के लिए एक मजबूत दलील थी, लेकिन इसे एक अलग सिख राष्ट्र की दलील के रूप में भी समझा जा सकता है। इस कारण चरमपंथी तत्वों ने संकल्प के आधार पर भारत से अलगाव और 'खालिस्तान' के निर्माण की वकालत शुरू कर दी।"
इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा, "श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को गलत तरीके से पेश कर सिख समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री को वापस लेने के संबंध में एसजीपीसी से प्रतिनिधित्व ने मांग की थी। इस मुद्दे की जांच के लिए एनसीईआरटी द्वारा विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई थी और पैनल की सिफारिशों के आधार पर विवादित अंश को हटाने का निर्णय लिया गया।"
इसके साथ ही संजय कुमार ने कहा, "एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यक्रम किये गये इस संशोधन को लेकर एक शुद्धिपत्र भी जारी किया गया है। लेकिन नए शैक्षणिक सत्र के लिए पुस्तकें पहले ही मुद्रित की जा चुकी हैं, जिसके कारण उसमें वो विवादित अंश नजर आएगा वहीं पाठ्यक्रम में हुआ यह परिवर्तन डिजिटल पुस्तकों में अभी से देखा जा सकता है।"
मालूम हो कि आनंदपुर साहिब प्रस्ताव 1973 में शिरोमणि अकाली दल द्वारा अपनाया गया था। जिसके प्रस्ताव में सिख धर्म के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और पंजाब के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग की गई थी। इसने यह भी मांग की कि चंडीगढ़ शहर को पंजाब को सौंप दिया जाना चाहिए और पड़ोसी राज्यों मसलन हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए।