संसदीय दल का नेता बन नरेंद्र मोदी ने कहा- सबका साथ, सबका विकास और अब सबका विश्वास हमारा मंत्र
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: May 25, 2019 08:22 PM2019-05-25T20:22:07+5:302019-05-25T20:30:42+5:30
उपेक्षा का शिकार, दबे, कुचले, वंचित, शोषित, दलित और गरीब लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पांच साल उनकी सरकार हर दिन इन सभी को ध्यान में रखकर चलती रही। पीएम मोदी ने कहा कि अब पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
17वीं लोकसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में नव-निर्वाचित सांसदों को नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ाया। इसी के साथ उन्होंने पार्टी की लाइन बन चुके नारे 'सबका साथ, सबका विकास' को अपग्रेड भी कर दिया। पीएम मोदी ने कहा ''सबका साथ, सबका विकास और अब सबका विश्वास' हमारा मंत्र है।''
उपेक्षा का शिकार, दबे, कुचले, वंचित, शोषित, दलित और गरीब लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पांच साल उनकी सरकार हर दिन इन सभी को ध्यान में रखकर चलती रही। पीएम मोदी ने कहा कि अब पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ''2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेदना है। हमें विश्वास जीतना है।
संविधान को साक्षी मानकर हम संकल्प लें कि देश के सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।
पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
हम सबको मिलकर 21वीं सदी में हिंदुस्तान को ऊंचाइयों पर ले जाना है।
सबका साथ, सबका विकास और अब सबका विश्वास ये हमारा मंत्र है।''
पीएम मोदी ने कई पहलुओं पर बात की। उन्होंने वीआपी कल्चर पर चोट की। पीएम ने कहा, ''वीआईपी कल्चर से देश को बड़ी नफरत है। हम भी नागरिक हैं तो कतार में क्यों खड़े नहीं रह सकते। मैं चाहता हूं कि हमें जनता को ध्यान में रखकर खुद को बदलना चाहिए। लाल बत्ती हटाने से कोई आर्थिक फायदा नहीं हुए, जनता के बीच अच्छा मैसेज गया है।''
पीएम मोदी नव-निर्वाचित सांसदों को पहले ही मंत्रि पद के मोह से विरक्त रहने की सलाह दे दी। उन्होंने कहा, ''इस देश में बहुत ऐसे नरेन्द्र मोदी पैदा हो गए हैं, जिन्होंने मंत्रिमंडल बना दिया है। जो भी जीतकर आए हैं, सब मेरे हैं। सरकार और कोई बनाने वाला नहीं है, जिसकी जिम्मेवारी है वही बनाने वाले हैं। अखबार के पन्नों से न मंत्री बनते हैं, न मंत्रिपद जाते हैं।''