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पीएम मोदी ने नोटबंदी को बताया था दीमक मारने की दवा, कृषि मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा- इससे टूटी किसानों की कमर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 22, 2018 13:33 IST

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने आर्थिक मामले को देख रही संसद के स्थायी समिति को दिए अपने रिपोर्ट में माना है कि नोटबंदी से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. नोटबंदी के कारण देश के लाखों किसान उस वक्त बीज और खाद वगैरह नहीं खरीद पाए थे।

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ठळक मुद्देकेंद्रीय कृषि मंत्रालय ने संसदीय समिति को नोटबंदी के किसानों पर हुए असर पर रिपोर्ट सौंपी है।कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी से किसानों की माली हालत पर बुरा असर हुआ।हालाँकि इसी हफ्ते पीएम नरेद्र मोदी ने नोटबंदी को दीमक मारने की दवा बताया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में मंगलवार (20 नवंबर) को एक चुनावी रैली में कहा कि नोटबंदी दीमक मारने की एक कड़वी दवा थी। उनके  भाषण के अगले ही दिन 21 नवंबर को केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय ने संसद के आर्थिक मामले की स्थायी समिति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में नोटबंदी को देश में कृषि क्षेत्र की बदहाली का सबसे बड़ा कारण बताया। इस रिपोर्ट के मीडिया और सोशल मीडिया पर मोदी सरकार की आलोचना हो रही है।

 भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने आर्थिक मामले को देख रही संसद के स्थायी समिति को दिए अपने रिपोर्ट में माना है कि नोटबंदी से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। नोटबंदी के कारण देश के लाखों किसान उस वक्त बीज और खाद वगैरह नहीं खरीद पाए थे, जिसके कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

मंगलवार को कृषि मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और कुटीर, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय ने कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोहली की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति को नोटबंदी पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बहुत ही जोरदार हमला किया है. राहुल गांधी ने खुद ट्वीट कर कहा, 'नोटबंदी ने करोड़ों किसानों का जीवन नष्ट कर दिया है, लेकिन मोदी जी आज भी किसानों के दुर्भाग्य का मजाक उड़ाते हैं'।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को रात आठ बजे उसी रात 12 बजे से उस समय प्रचलित 500 रुपये और 1000 रुपये के बैंक नोट को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में नोटबंदी के फैसले के पीछे कालाधन खत्म करने, नकली नोटों को बाजार से बाहर करने और आतंकवाद पर लगाम लगाने जैसे कारण बताये थे। 

 

द हिंदू की खबर के मुताबिक, कृषि मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने जब नोटबंदी लागू किया था, तब किसान या तो अपनी खरीफ की फसल बेच रहे थे या रबी की फसल बो रहे थे। इन दोनों कामों के लिए उन्हें अच्छी-खासी रकम की जरूरत थी, लेकिन नोटबंदी के बाद बाजार से नोट ही गायब हो गए।

इस रिपोर्ट में लिखा गया है, 'भारत के 26 करोड़ से ज्यादा किसान कैश इकोनॉमी पर ही निर्भर रहते है. नोटबंदी के दौरान लाखों किसान अपनी अगली फसल बोने के लिए बीज और खाद नहीं खरीद पाए। बड़े जमींदारों तक को परेशानी हुई और वो अपने किसानों न भुगतान कर पाए, न ही खेती के लिए जरूरी खरीददारी कर पाए।'

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैश क्रंच के कारण नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन 1.38 लाख क्विटंल गेंहू के बीज नहीं बेच पाए. चूंकि सरकार ने इन्हें खरीदने के लिए बैन नोटों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी, लेकिन फिर भी बिक्री नहीं हुई।

टॅग्स :नोटबंदीनरेंद्र मोदीकिसान आंदोलनFarmer Agitation
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