हिंदी के मशहूर साहित्यकार और समालोचक डॉक्टर नामवर सिंह का निधन हो गया है। नामवर का निधन 92 साल में हुआ है। उन्होंने दिल्ली के एम्स में में मंगलवार रात तकरीबन 11.50 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली।
बुधवार दोपहर बाद दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
खराब सेहत के कारण से बीते कुछ समय से वह एम्स में भर्ती थे। इसी साल जनवरी में वह अपने घर में अचानक गिर गए थे जिस कारण से उनको अस्पताल में भर्ता करवाया गया था जहां उनका लगातार स्वास्थ्य गिरता गया।
उनकी मौत के बाद वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने लिखा कि हिंदी में फिर सन्नाटे की खबर है। उन्होंने लिखा कि नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी डॉ. नामवर सिंह का निधन हो गया है।
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को उत्तर प्रदेश के चंदौली (तब वाराणसी) जिले के जीयनपुर गांव में हुआ था।
नामवर सिंह ने स्कूली शिक्षा वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज से प्राप्त की। यूपी कॉलेज के बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से उच्च शिक्षा प्राप्त की। नामवर सिंह ने मशहूर साहित्यकार और विद्वान डॉक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी के निगरानी में अपभ्रंश साहित्य पर शोध कार्य किया।
अपने छह दशकों से लम्बे अकादमिक जीवन में डॉक्टर नामवर सिंह ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय, जोधपुर विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अध्यापन कार्य किया। जेएनयू में हिन्दी विभाग के वो संस्थापक विभागाध्यक्ष थे।
1990 के दशक में जेएनयू से रिटायर होने के बाद प्रोफेसर इमेरिटस का दर्जा मिला था। जेएनयू से रिटायर होने के बाद भी वो साहित्यिक समाज में काफी सक्रिय रहे। अपने आलोचनाओं और विचारों के लिए वो अक्सर सामाजिक विमर्शों के केंद्र में रहा करते थे।
19 फ़रवरी 2019 को डॉक्टर नामवर सिंह ने दिल्ली के एम्स में आखिरी साँस ली। छायावाद, दूसरी परम्परा की खोज, कविता के नए प्रतिमान, बकलम खुद (निबन्ध संग्रह), 'हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान', 'पृथ्वीराज रासो की भाषा' इत्यादि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।