प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुशल राजनीतिक रणनीतिकार ऐसे ही नहीं कहा जाता है. अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्वागत के लिए आयोजित 'नमस्ते ट्रम्प' कार्यक्रम के दौरान मंच पर दो मेहमान और एक मेजबान थे, लेकिन वहां पर केवल दो ही कुर्सियां थीं. इसे देखकर वहां पहुंची जनता चौंक गई. उनसे पहले कार्यक्रम से जुड़े अधिकारी भी इस निर्णय पर चौंके थे.
उन्हें मंच पर केवल दो ही कुर्सियां लगाने का निर्देश दिया गया था. दरअसल, इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति नीति थी. वह अपने प्रशंसकों और जनता को यह संदेश देना चाहते थे कि ट्रम्प या उनमें किसी तरह का अंतर नहीं है. उनकी कुर्सी वही है जो अमेरिकी राष्ट्रपति की है.
मोदी का अपने प्रशंसकों को साफ संदेश था कि उनके प्रधानमंत्री की ताकत और प्रसिद्धि किसी भी नेता से कम नहीं है. यही वजह है कि ट्रम्प भी उनके साथ कुर्सी साझा करने को तैयार हुए हैं जबकि दुनिया के अधिकतर मुल्क इस तरह की बात सोच नहीं सकते हैं.
मंच पर थे तीन लोग
अधिकारियों के मुताबिक, दो राष्ट्राध्यक्ष जब मिलते हैं तो उनकी कुर्सी अगल-बगल लगाई जाती है, लेकिन वहां पर मंच पर तीन लोग थे. इनमें से एक राष्ट्रपति ट्रम्प की पत्नी मेलानिया थीं. ऐसे में यह समस्या थी कि कुर्सी किस तरह से लगाई जाए. क्या ट्रम्प को बीच में बैठाया जाए और उनके अगल-बगल दो कुर्सियां लगाई जाएं जिन पर प्रधानमंत्री और मेलानिया बैठें.
ऐसा होने पर यह संदेश बिल्कुल नहीं जाता कि दोनों नेता एक समान हैं क्योंकि केंद्र में बैठा व्यक्ति ही प्रमुख होता है. ऐसे में केवल दो कुर्सियां लगाने का ही निर्णय किया गया ताकि जब एक नेता बोलेंगे तो दूसरे नेता उनकी जगह पर बैठेंगे.