जिस शख्स ने महज 8 महीने में बना दिया था मोटेरा स्टेडियम, उसे नहीं मिला 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का न्योता
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: February 24, 2020 11:24 AM2020-02-24T11:24:58+5:302020-02-24T11:38:30+5:30
बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष मृगेश जयकृष्ण ने मोटेरा स्टेडियम को 1983 में बनाया था। इसे तैयार होने में 8 महीने और 13 दिन का वक्त लगा था। बाद में इसी स्टेडियम को एक लाख से ज्यादा लोगों की क्षमता वाले स्टेडियम में परिवर्तित किया गया है। इस स्टेडियम का नाम सरदार पटेल स्टेडियम है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दो दिवसीय भारत दौरे की शुरुआत गुजरात के अहमदाबाद से कर रहे हैं। इस दौरान अहमदाबाद के जिस मोटेरा स्टेडियम में वह नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में एक लाख लोगों से रूबरू होंगे, उसमें इस स्टेडियम को बनाने वाले शख्स को आमंत्रित नहीं किया गया है।
मोटेरा स्टेडियम को महज 8 महीने में बनाने वाले मृगेश जयकृष्ण ने ट्रंप के कार्यक्रम का न्योता मिलने से इनकार किया है। बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष मृगेश जयकृष्ण ने मोटेरा स्टेडियम को 1983 में बनाया था। इसे तैयार होने में 8 महीने और 13 दिन का वक्त लगा था। बाद में इसी स्टेडियम को एक लाख से ज्यादा लोगों की क्षमता वाले स्टेडियम में परिवर्तित किया गया है। इस स्टेडियम का नाम सरदार पटेल स्टेडियम है।
मृगेश कृष्णा गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के भी पूर्व उपाध्यक्ष हैं। वर्तमान में मोटेरा स्टेडियम में एक लाख दस हजार लोग बैठ सकते हैं। इसे दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बताया जा रहा है। 36 साल पहले यह 63 एकड़ की केवल बंजर और ऊबड़-खाबड़ जमीन थी।
अहमदाबाद मिरर की खबर के मुताबिक, मृगेश जयकृष्ण ने बताया कि स्पोर्ट्स क्लब ऑफ गुजरात के पास पुराने सरदार पटेल स्टेडियम में मैचों के लिए बार-बार होने वाले झगड़े ने एक नए क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण के विचार को जन्म दिया था।
स्पोर्ट्स क्लब ऑफ गुजरात के अध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके 76 साल के उद्योगपति मृगेश ने बताया, ''जब भी हम मैच आयोजित करते थे, स्टेडियम का प्रबंधन एएमसी और जीसीए द्वारा किया जाता था। बदले में हमें कई अधिकारियों को कॉम्पलिमेंटरी पास देने होते थे। पैवेलियन पास जीसीए के लिए पैसा कमाने के लिए मुख्य साधन थे। अधिकारी मुफ्त में इन पासों को मांगेंगे, इससे आजिज आकर मैंने एक नया स्टेडियम बनाने के लिए विचार किया।''
जयकृष्ण ने तत्कालीन मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी से जमीन के लिए संपर्क किया। सोलंकी ने एक और स्टेडियम बनाने की जयकृष्ण की योग्यता देखी और मोटेरा में जमीन आवंटित कर दी। सोलंकी अपनी ही पार्टी के नेताओं के कट्टर विरोध के बावजूद हमारे जयकृष्ण के साथखड़े रहे। जयकृष्ण ने कहा, ''भूखंड को हासिल करने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा। हमें पता था कि हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।”