नागपुर मनपाः मुखिया बदला, पर कहानी नहीं, अधिकारी बजा रहे आर्थिक बदहाली का झुनझुना, विकास कार्य ठप

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 9, 2021 04:55 PM2021-01-09T16:55:50+5:302021-01-09T17:03:18+5:30

नागपुर मनपाः जनवरी 2020 के अंतिम दिनों में चार्ज लेने के बाद तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे ने जो विकास कार्यों पर ब्रेक लगाया, वो आज भी जारी है.

Nagpur Municipal Corporation Manpa officer financial plight development work stalled bjp shivsena | नागपुर मनपाः मुखिया बदला, पर कहानी नहीं, अधिकारी बजा रहे आर्थिक बदहाली का झुनझुना, विकास कार्य ठप

जनवरी 2020 से अब तक नए विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं. (file photo)

Highlightsजनता के टैक्स से हो रहा मनपा कर्मियों व अधिकारियों का वेतन.हर महीने 120 करोड़ रुपए का आवश्यक खर्च है. इतनी राशि आसानी से जुट रही है.मनपा का वित्त विभाग खर्च को मैनेज कर पाने में विफल साबित हो रहा है.

राजीव सिंह

नागपुरः जनता से टैक्स वसूलकर मनपा खुद की तिजोरी भर रही है. लेकिन जनता को उसके ऐवज में सेवाएं नहीं मिल रही हैं. सालभर से शहर में विकास कार्य ठप पड़े हैं.

प्रभागों में गटर के चेंबर तक के काम नहीं हो रहे. जबकि,मनपा के आला अधिकारी ऑफिस में बैठकर कुर्सियों तोड़ रहे हैं. अगर कोई समस्या लेकर जाता है तो निधि नहीं होने का झुनझुना मनपा के मुखिया बजा देते हैं. जनवरी 2020 के अंतिम दिनों में चार्ज लेने के बाद तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे ने जो विकास कार्यों पर ब्रेक लगाया, वो आज भी जारी है.

मुंढे सात महीने में चले गए. उसके बाद राधाकृष्णन बी. आए हैं. वे भी आर्थिक तंगी का रोना रो रहे हैं. लेकिन हर महीने राज्य की महाविकास आघाड़ी की तरफ से 100 करोड़ रुपए का जीएसटी अनुदान दिया जा रहा है. संपत्ति कर, जल कर, नगर रचना शुल्क, बाजार शुल्क, विज्ञापन शुल्क आदि से कमाई हो रही है.

हर महीने 120 करोड़ रुपए का आवश्यक खर्च

हर महीने 120 करोड़ रुपए का आवश्यक खर्च है. इतनी राशि आसानी से जुट रही है. पर मनपा का वित्त विभाग खर्च को मैनेज कर पाने में विफल साबित हो रहा है. जनता का सवाल है कि मनपा जब समस्या ही हल नहीं कर पा रही है तो उसका फायदा क्या? कहीं जानबूझकर राज्य सरकार तो काम में अड़ंगा नहीं डाल रही?

तकलीफों से ग्रस्त नागरिकों के जेहन में ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे हैं. महापौर पद पर हाल ही में दयाशंकर तिवारी चुने गए हैं, क्या वे शहर को फिर से विकास की पटरी पर ला पाएंगे या प्रशासन की खस्ताहाल स्थिति को लेकर बेतुके तर्क के बोझ तले दबे रहेंगे.

नक्शा मंजूरी के लिए महीनों लगाने पड़ रहे चक्कर नगर रचना विभाग में अगर कोई नक्शा मंजूर कराने के लिए आम आदमी आवेदन करता है तो उसे मंजूरी प्रदान करने में 6 से 12 महीने का समय लगता है. अगर दलालों के माध्यम से गए तो कुछ दिनों में ही नक्शा हर प्रकार की मंजूरी के बाद जारी हो रहा है.

ऐसी है मनपा की खस्ताहाल स्थिति- मनपा आयुक्त ने वर्ष 2020-21 का बजट मंजूर किया, पर अमल नहीं. जनवरी 2020 से अब तक नए विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं. प्रशासन के आला अधिकारी आरोप लगा रहे हैं कि राज्य सरकार की तरफ से पर्याप्त निधि नहीं मिल रही.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मनपा कर्मियों व अधिकारियों को सातवां वेतन आयोग लागू करने के आदेश जारी किए. लेकिन मनपा की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति को देखते हुए मुख्य लेखा व वित्त अधिकारी ने रिकवरी को शतप्रतिशत करने के लिए संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा. राज्य सरकार की तरफ से डेप्यूटेशन पर भेजे गए अधिकारियों को सातवें वेतन आयोग के आधार पर वेतन दिया जा रहा है.लेकिन नागपुर मनपा के कर्मचारियों व अधिकारियों को यह लागू नहीं हुआ है.

सरकार ने सुरक्षित दूरी का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी

सरकार ने सुरक्षित दूरी का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी किए हैं. फिर भी सार्वजनिक परिवहन के नाम पर मात्र 30 फीसदी बसें ही संचालित हो रही हैं. सिटी बस के बेड़े में 437 बसें हैं, लेकिन अब तक मात्र 172 बसें ही चल रही हैं. आयुक्त ने कई सामाजिक, राजनीति संगठनों के प्रतिनिधियों से सीधे तौर पर कहा कि बसों का पूरी क्षमता से वे संचालन नहीं कर सकते.

औद्योगिक क्षेत्र बूटीबोरी, मिहान, हिंगणा आदि इलाके से बड़ी संख्या में नौकरीपेशा रोजाना अपडाउन कर रहे हैं. लेकिन बसों की फेरियां नहीं होने से मध्यम वर्ग पर दबाव बढ़ रहा है. कचरा प्रबंधन के मामले में मनपा पूरी तरह विफल दिखाई दे रही है. दो एजेंसी एजी एन्वायरो और बीवीजी की नियुक्ति कर आधा-आधा शहर बांट दिया गया. लेकिन घरों तक कचरा गाडि़यां नियमित नहीं पहुंच रहीं.

नागपुर शहर में सीमेंट रोड का निर्माण कार्य बड़े पैमाने पर किया गया है. लेकिन उसकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि बनने के कुछ महीनों में ही उसकी ऊपरी सतह कई स्थानों पर उखड़ने लगी है. पुरानी सड़कों पर गड्ढे पड़े हुए हैं. अग्निशमन विभाग में 75 फीसदी पद रिक्त हैं. विभाग को निधि भी पर्याप्त नहीं दी जा रही है. इस वजह से आपदा से निपटना बड़ी चुनौती है.
 

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