Nagpur news: कोरोना वायरस का प्रकोप, ए़डमिशन के लिए शिक्षक को घर नहीं भेजे, गए तो 188 के तहत फौजदारी मामला दर्ज होगा
By डॉ. आशीष दुबे | Published: March 18, 2020 08:45 PM2020-03-18T20:45:20+5:302020-03-18T20:46:03+5:30
सभी स्कूल प्रबंधन व मुख्याध्यापकों को निर्देश दिया गया है कि वे शिक्षकों को दाखिले के लिए शिक्षकों को घर-घर नहीं भेजे. यदि शिक्षक ऐसा करते पाए जाते है तो उउनके खिलाफ भादंवि की धारा 188 के तहत फौजदारी मामला दर्ज किया जाएगा. शिक्षकों को पर भी यही कार्रवाई की जाएगी.
नागपुरः एक ओर कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के प्रयासों के बीच बुधवार को प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षणाधिकारी ने संयुक्त रूप से एक परिपत्र जारी किया है.
इसमें जिले के सभी स्कूल प्रबंधन व मुख्याध्यापकों को निर्देश दिया गया है कि वे शिक्षकों को दाखिले के लिए शिक्षकों को घर-घर नहीं भेजे. यदि शिक्षक ऐसा करते पाए जाते है तो उउनके खिलाफ भादंवि की धारा 188 के तहत फौजदारी मामला दर्ज किया जाएगा. शिक्षकों को पर भी यही कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, शिक्षा विभाग को शिकायत मिली थी कि सभी स्कूलों को 31 मार्च तक अवकाश होने के बावजूद भी सीटें भरने की कवायद में अंग्रेजी माध्यमों की स्कूलें लगी हुई है. वह शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को भेज रहे है. ताकि वे घर-घर जाकर शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए शाला में बच्चों का दाखिला कराए.
शिकायत में यह भी कहा गया था कि बच्चों की खोज के लिए शिक्षकों के समूह बनाए गए है. समूह में उन्हें भेजा जा रहा है. जांच में शिकायत को सही पाया गया. लिहाजा यह परिपत्र जारी किया गया है. परिपत्र में जिला परिषद के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षणाधिकारियों ने संयुक्त रूप से कहा है कि नागपुर जिले में धारा 144 लागू है.
बावजूद इसके शिक्षक घूम रहे है. यह प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन है. लिहाजा शाला प्रबंधन, मुख्याध्यापक व शिक्षकों ने इसका उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ भादंवि की धारा 188 के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. साथ ही फौजदारी मामला दर्ज किया जाएगा.
स्कूल देते है सर्वे का नाम
दरअसल, शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों की बाढ़ सी आ गई है. स्पर्धा बढ़ने व अधिक से अधिक विद्यार्थियों का दाखिला अपने यहां कराने के लिए स्कूलों की ओर से शिक्षकों को घर-घर भेजा जाता है. स्कूलों की ओर से इसे सर्वे का नाम दिया जाता है.
इस कार्य के लिए शिक्षकों का समूह बनाया जाता है. उन्हें अलग-अलग इलाकों में भेजा जाता है. शिक्षकों को चेतावनी भी दी जाती है कि यदि उन्होंने बच्चों के दाखिले नहीं लाए तो नौकरी से निकाल दिया जाएगा. नौकरी जाने के डर से शिक्षक मजबूरी में यह काम करते है.