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नगा संगठनों ने अफस्पा की अवधि बढ़ाये जाने की निंदा की

By भाषा | Updated: December 30, 2021 16:18 IST

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कोहिमा, 30 दिसंबर कड़े सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (अफस्पा) को और छह महीने तक बढ़ाने संबंधी केंद्र के फैसले को ‘‘अस्वीकार्य’’ बताते हुए प्रमुख नगा संगठनों ने कहा है कि इस कदम का मकसद ‘‘नगाओं की आने वाली पीढि़यों को दबाए रखना’’ है।

केंद्र ने बृहस्पतिवार को नगालैंड की स्थिति को ‘‘अशांत और खतरनाक’’ करार दिया तथा अफस्पा के तहत 30 दिसंबर से छह और महीने के लिए पूरे राज्य को ‘‘अशांत क्षेत्र’’ घोषित कर दिया।

यह कदम केंद्र सरकार द्वारा नगालैंड से विवादास्पद अफस्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन के कुछ दिनों बाद उठाया गया है। अफस्पा नगालैंड में दशकों से लागू है।

असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड में नगा जनजातियों के निकाय ‘नगा होहो’ के महासचिव के एलु नडांग ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने नगा लोगों की इच्छाओं की अनदेखी की है ... सभी नगा लोग भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं और अधिनियम को निरस्त करने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। नगा लोग इसे नहीं मानते। हम अधिनियम को निरस्त करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते किसी भी हद तक जाएंगे।’’

उन्होंने आश्चर्य जताया कि राज्य में शांति के बावजूद अफस्पा को क्यों बढ़ाया गया। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक सेना को निर्दोष लोगों को गोली मारने का अधिकार है, तब तक हमारी भूमि में शांतिपूर्ण माहौल नहीं हो सकता है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि आम लोग या नगा राजनीतिक समूह राज्य में कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा नहीं कर रहे हैं बल्कि सशस्त्र बल ऐसा कर रहे है।’’

‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन’ (ईएनपीओ) के अध्यक्ष आर. त्सापिकिउ संगतम ने कहा कि संगठन ने अफस्पा के विस्तार पर चर्चा के लिए सात जनवरी को एक बैठक बुलाई है।

नगा मदर्स एसोसिएशन (एनएमए) की सलाहकार प्रो. रोजमेरी दजुविचु ने अफस्पा के विस्तार पर अफसोस जताते हुए कहा कि नागरिकों के विरोध और मोन जिले में हत्याओं की चल रही जांच के बीच ऐसा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अफस्पा के विस्तार को टाला जा सकता था।

राज्य सरकार के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी से अभी तक इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

नगालैंड में 14 आम नागरिकों की हत्या को लेकर बढ़े तनाव को शांत करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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