मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केसः CBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, किसी भी बच्चे की नहीं हुई हत्या, आरोप लगने वाले सभी बच्चे मिले जिंदा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 8, 2020 01:18 PM2020-01-08T13:18:23+5:302020-01-08T13:20:23+5:30
Muzaffarpur shelter home case: सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में बच्चों के बलात्कार, यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की गई और अदालतों में आरोपपत्र दायर किए गए।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न के 17 मामलों में जांच पूरी हो गई है और किसी भी बच्चे की हत्या के सबूत नहीं मिले, जिन बच्चों की हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया था, वे बाद में जिंदा मिले। बता दें, बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ की ओर से संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की रिपोर्ट के बाद मामला प्रकाश में आया था।
सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में बच्चों के बलात्कार, यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की गई और अदालतों में आरोपपत्र दायर किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले पर सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट स्वीकार की।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने कहा कि चार प्रारंभिक जांच में किसी आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला साक्ष्य नहीं मिला और इसलिए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
CBI tells Supreme Court that investigation in all 17 shelter homes cases, including Muzaffarpur(Bihar) shelter home abuse case, has been completed. No girl was killed in Muzaffarpur shelter home and skeletons found were not of inmate minors, AG KK Venugopal says.
— ANI (@ANI) January 8, 2020
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह समेत सभी 17 आश्रय गृह मामलों की जांच पूरी हो गई है और सक्षम अदालत में अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी गई है। सीबीआई रिपोर्ट के रूप में नोट को मुख्य सचिव के पास उपयुक्त कार्रवाई के लिए भेजा गया है।
सीबीआई ने यह भी कहा कि बिहार सरकार से आग्रह किया गया है कि विभागीय कार्रवाई करे और सीबीआई के प्रारूप में जांच परिणाम मुहैया कर संबंधित एनजीओ का पंजीकरण रद्द करने और उन्हें काली सूची में डालने के लिए कहा गया है। बालिका गृह मुजफ्फरपुर के एक मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला 14 जनवरी तक सुनाया जाएगा।