मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केसः CBI की जांच रिपोर्ट आने के बाद 25 IAS अधिकारियों पर लटकने लगी कार्रवाई की तलवार
By एस पी सिन्हा | Published: January 10, 2020 07:49 PM2020-01-10T19:49:57+5:302020-01-10T19:49:57+5:30
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केसः सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर से शोकॉज संबंधित आदेश जारी होने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी. इसके अलावा बिहार प्रशासनिक सेवा समेत अन्य स्तर के करीब 45 पदाधिकारियों को भी सीबीआई ने अपनी जांच में दोषी पाया है.
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका अल्पवास गृह के मामले सामने आने के बाद मची बवाल के बाद अब अल्पवास गृह (शेल्टर होम) मामले में करीब 25 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. इस मामले में सीबीआई की प्रारंभिक रिपोर्ट राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार को मिलने के बाद इसमें समुचित कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया गया है.
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सामान्य प्रशासन विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया है. इसके तहत लगभग 25 आईएएस अधिकारियों को शोकॉज करने की तैयारी सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर से शुरू हो गई है. समीक्षा के बाद अंतिम स्तर पर मुहर लगते ही सभी संबंधित आईएएस को शोकॉज लेटर जारी कर दिया जायेगा.
बताया जाता है कि इन 25 अधिकारियों में 10 जिलों के 20 तत्कालीन डीएम के भी शामिल होने की पूरी संभावना है. इनमें सबसे ज्यादा पूर्वी चंपारण के सात और पटना के दो तत्कालीन डीएम हो सकते हैं. इसके अलावा सचिव, निदेशक समेत अन्य स्तर के उच्च अधिकारियों के होने की संभावना है. शोकॉज लेटर मिलने के बाद सभी संबंधित अधिकारियों को जवाब देने के लिए 14 दिनों की मोहलत दी जायेगी.
हालांकि, सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर से शोकॉज संबंधित आदेश जारी होने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी. इसके अलावा बिहार प्रशासनिक सेवा समेत अन्य स्तर के करीब 45 पदाधिकारियों को भी सीबीआई ने अपनी जांच में दोषी पाया है. इन पदाधिकारियों को भी शोकॉज होना तय माना जा रहा है. आईएएस अधिकारियों के साथ ही इनको भी शोकॉज किया जा सकता है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में 25 आइएएस और करीब 45 अन्य स्तर के पदाधिकारियों को कई स्तर पर दोषी पाया है. सभी संबंधित डीएम के बारे पाया गया कि उन्होंने अपने-अपने जिले में मौजूद संबंधित सभी बालिका या बालक गृह, शॉर्ट स्टे होम समेत ऐसे अन्य होम की जांच नहीं की है, जबकि डीएम की ही इन सभी होम के जांच करने की जवाबदेही होती है.
उन्होंने अपने कार्यकाल में एक बार भी किसी होम की जांच नहीं की. कुछ डीएम ने जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद भी संबंधित होम के संचालकों के साथ ही इनकी मॉनीटरिंग करने वाले किसी स्तर के पदाधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की. खासकर बालिका गृह की जांच में काफी लापरवाही बरती गई है.
इसके अलावा टीस की रिपोर्ट आने के बाद भी जिला स्तर पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. सभी होम बदस्तूर चलते रहे. वहीं, कई जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी समेत अन्य पदाधिकारियों को भी इन होम की बदहाली के लिए बडे स्तर पर दोषी पाया गया है.
सूत्रों के अनुसार इन पदाधिकारियों की मिलीभगत से ही इन सभी होम की बदहाली बनी रही और इनमें अराजक माहौल बना रहा. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के भी कई पदाधिकारियों को इसमें दोषी पाया गया है. कुछ की इनके संचालकों के साथ मिलीभगत थी, तो कुछ ने जांच रिपोर्ट दबाने या बदलने की कोशिश की थी, ताकि दोषियों को बचाया जा सके.
यहां उल्लेखनीय है कि टीस की ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित 12 जिलों के 17 शेल्टर होम की जांच सीबीआइ ने की थी. इनमें मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, मुंगेर, पटना, पूर्वी चंपारण, कैमूर, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी और गया जिला शामिल हैं. इनमें पटना का शॉर्ट स्टे होम, स्पेशलाइज्ड एडप्शन एजेंसी और कौशल कुटीर शामिल हैं.