क्या आप जानते हैं कि प्रेमचन्द को कथासम्राट किस महान बांग्ला लेखक ने कहा था?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2019 08:16 PM2019-10-08T20:16:40+5:302021-07-30T14:00:42+5:30
प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं।
प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) हिन्दी और उर्दू के भारतीय लेखकों में से एक थे। प्रेमचंद को नवाब राय के नाम से भी जाना जाता है। प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे।
हिन्दी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले प्रेमचंद का लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जो हिन्दी के विकास की यात्रा को संपूर्णता प्रदान करती है।
प्रेमचंद और भारतीय साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं। हिंदी पट्टी में आपको शायद ही कोई ऐसा शख्स मिले, जिसने मुंशी प्रेमचंद की कहानियां नहीं पढ़ी हों। जितने लोगों ने प्रेमचंद की कथाएं और कहानियां उनके जीवन काल में पढ़ी हैं, उससे ज्यादा लोग उन्हें उनके निधन के बाद पढ़ते आए हैं।
मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवनकाल में 15 उपन्यास, 300 से ज्यादा कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें और हजारों पन्नों के लेख, संपादकीय, भाषण आदि की रचना की, लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान उपन्यासों और कहानियों से ही मिली। हिंदी और उर्दू दोनों पर उनका समान रूप से अधिकार था।