महाराष्ट्रः अपनी मांगों को लेकर विधानसभा पहुंचा किसानों का प्रतिनिधिमंडल, सरकार का रुख नरम
By आदित्य द्विवेदी | Published: March 12, 2018 01:24 PM2018-03-12T13:24:02+5:302018-03-12T14:31:33+5:30
अखिल भारतीय किसान सभा के अशोक धवले प्रतिनिधिमंडल के साथ विधानसभा पहुंचे। 12 मांगों पर प्रदेश सरकार की कमेटी से होगी चर्चा।
मुंबई, 12 मार्च: मुंबई में प्रदर्शनकारी किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों के साथ विधानसभा गया है। वहां राज्य सरकार की एक कमेटी के साथ मांगों को लेकर चर्चा की जाएगी। अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने हमें बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बात-चीत को तैयार हैं। सीएम से मिलने के लिए किसानों का 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अपनी 12 मांगों के साथ जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि हम किसानों की मांग को लेकर गंभीर हैं। उनकी 80-90 प्रतिशत मांगों को मानने को तैयार हैं। इसके लिए लिखित आश्वासन भी दिया जाएगा। (यह भी पढ़ेंः- मुंबई में किसानों का प्रदर्शन LIVE: आजाद मैदान पहुंचा 'लाल हुजूम', सीएम फडणवीस बातचीत को तैयार)
मराठवाड़ा के किसानों का जत्था नासिक से पैदल मार्च करते हुए सोमवार को मुंबई के आजाद मैदान पहुंचा। इनकी योजना अपनी मांगो को लेकर विधानसभा का घेराव करने की थी। मुंबई की सड़कों पर इतनी बड़ी संख्या में 'लाल हुजूम' उमड़ आने से राजनीतिक पार्टियों में भी हलचल मच गई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घेराव करने से पहले ही किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है। प्रदेश सरकार ने बातचीत करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।
There'll be a meeting with farmers at 1pm. I think we'll give solutions for 80-90% of their issues. We're serious about the demands including loan waiver & will come up with best decisions. Written assurance will be given for accepted demands: Girish Mahajan, Maharashtra Minister pic.twitter.com/D3opguwlfy
— ANI (@ANI) March 12, 2018
प्रदर्शनकारी किसानों की प्रमुख मांगें
1. कर्जमाफी
प्रदर्शनकारी किसानों ने बीजेपी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने 2017 में 34 हजार करोड़ रुपये के कर्जमाफी की घोषणा की थी। इससे 89 लाख किसानों को फायदा पहुंचना था। मार्च 2018 तक सिर्फ 13,782 करोड़ रुपये ही जारी किए जा सके और 89 लाख की बजाय 36 लाख किसान ही लाभान्वित हुए। सभी किसानों तक फायदा पहुंचे ये किसानों की बड़ी मांग है।
2. स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें
किसानों की मांग है कि किसानों की हालात सुधारने के लिए स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें स्वीकार की जाए। 2004 में प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने 2006 में किसानों की हालत सुधारने के लिए अपनी सिफारिशें दी थी। इन पर आजतक किसी भी सरकार ने सीधे तौर पर अमल नहीं किया है।
3. किसानों के लिए पेंशन
किसानों का मानना है कि उनका काम किसी भी मायने में किसी अन्य से कमतर नहीं है। लेकिन बुढ़ापे में जब उनके शरीर में ताकत नहीं बचती तो भुखमरी में गुजारा करना पड़ता है। ऐसे में किसानों की मांग है कि उन्हें भी पेंशन दी जाए।
इसके अलावा किसान बिजली बिल माफी, फसलों का उचित समर्थन मूल्य और फारेस्ट राइट्स एक्ट लागू करने जैसे कुल 12 मांगे हैं।