जम्मू कश्मीर: हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण 2 महीने में घटी 24 से भी ज्यादा घटनाएं, सेना को पहुंची क्षति का नहीं है अब तक कोई आंकड़ा

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 25, 2023 01:18 PM2023-02-25T13:18:31+5:302023-02-25T13:29:45+5:30

ऐसे में इलाके में बार-बार होने वाले हिमस्खलन के बीच आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा है कि उनके द्वारा पूर्व चेतावनी ने जानमाल के नुकसान को रोक दिया गया है।

More than 24 incidents occurred 2 months due to avalanches landslides Jammu Kashmir no data yet damage caused indian army | जम्मू कश्मीर: हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण 2 महीने में घटी 24 से भी ज्यादा घटनाएं, सेना को पहुंची क्षति का नहीं है अब तक कोई आंकड़ा

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

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Highlightsजम्मू कश्मीर में दो महीने से चल रहे हिमस्खलन और भूस्खलन से लोग काफी परेशान है। हालांकि किसी बड़े-जान का खतरा तो नहीं हुआ है लेकिन कई इलाकों में छोटे-छोटे नुकसान जरूर हुए है। ऐसे में इस हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सेना को कितना नुकसान हुआ है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है।

जम्मू: पिछले दो महीनों से जम्मू कश्मीरहिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाओं से जूझ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, दो दर्जन से अधिक ऐसी प्राकृतिक घटनाओं में चार लोगों की मौत भी हुई और 50 घरों समेत 100 ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए है। यही नहीं सैंकड़ों लोग बेघर भी हो चुके हैं। 

सैन्य क्षेत्रों और सैनिकों को पहुंचने वाले क्षति का नहीं है कोई डेटा

आपको बता दें कि इन आंकड़ों में सैन्य क्षेत्रों और सैनिकों को पहुंचने वाली क्षति शामिल नहीं है जिसके आधिकारिक आंकड़े फिलहाल जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में इस महीने में यह सब गुलमर्ग में भारी हिमस्खलन के साथ शुरू हुआ था। इस घटना में दो पोलिश स्कीयर मारे गए थे और इस दौरान चलाए गए बचाव अभियान में 21 लोगों को बचा लिया गया था। 

आपको बता दें कि इसी महीने तीन फरवरी को एक और त्रासदी हुई, जब जम्मू के डोडा जिले में भूस्खलन हुआ था। जबकि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है पर 19 आवासीय घरों, एक मस्जिद और एक मदरसा सहित 21 ढांचों को नुकसान पहुंचा है। इसी दिन गुरेज में हिमस्खलन के कारण किशनगंगा नदी अवरूद्ध हो गई थी। सौभाग्य से जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं थी। हालांकि कुछ गांवों में जलापूर्ति प्रभावित रही।

20 फरवरी तक 4 घटनाएं घट चुकी है

एक और भारी हिमस्खलन चार फरवरी को गुलमर्ग में अफरावत चोटी से टकराया था। आपदा प्रबंधन और स्कीइंग क्षेत्रों के सीमांकन की पूर्व चेतावनी के कारण त्रासदी टल गई। यही नहीं छह फरवरी को रामबन के रामसू में एक पहाड़ी बस्ती सुजमतना से पांच परिवारों को उनके आवासीय मकानों में दरारें आने के बाद सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करना पड़ा है। 

इसी जिले में, 19 फरवरी को भूमि कटाव में 13 घर और 200 मीटर की एक सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थी। 20 फरवरी को सोनामर्ग के रेजान इलाके में भूस्खलन हुआ। इस घटना में दस घर, कई दुकानें और चार गौशालाएं क्षतिग्रस्त हो गई है।

जनवरी में भी घटी है कई घटनाएं

वही अगर बात करेंगे आगे की घटनाओं का तो 23 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के दमहल हांजीपोरा के नूराबाद इलाके में भूस्खलन के बाद दो आवासीय घर और पांच दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई है। जनवरी में भी प्राकृतिक आपदाओं में जान-माल का नुकसान हुआ था। 

ऐसे में 12 जनवरी को सोनमर्ग के सरबल इलाके में भीषण हिमस्खलन में दो मजदूरों की मौत हो गई थी, जिसमें किश्तवाड़ के दो मजदूरों की जान चली गई थी। उसी महीने में, जोजिला के साथ एक बड़े पैमाने पर हिमस्खलन हुआ जिससे मार्ग बंद हो गया था। 

बार-बार हो रहे हिमस्खलन पर क्या बोले आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी 

बार-बार होने वाले हिमस्खलन के बीच आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उनके द्वारा पूर्व चेतावनी ने जानमाल के नुकसान को रोक दिया। अधिकारियों का कहना था कि हम अत्यधिक हिमस्खलन खतरे वाले जिलों में लगातार हिमस्खलन की चेतावनी जारी कर रहे हैं और स्थानीय प्रशासन इन क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर रहा है। 

उनके अनुसार, प्रशासन द्वारा हमारे विभाग की सलाह पर तत्परता से काम करते हुए जानमाल के नुकसान को रोका गया है। हालांकि एलओसी पर हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण सेना को भी कई इलाकों में कथित तौर पर क्षति पहुंची पर उसका विवरण आधिकारिक तौर पर मुहैया नहीं करवाया गया है।

Web Title: More than 24 incidents occurred 2 months due to avalanches landslides Jammu Kashmir no data yet damage caused indian army

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