Moradabad Lok Sabha seat: पीतल की नगरी से पूरे विश्व में प्रसिद्ध, शहर ने अब तक महिलाओं को नहीं दिया मौका!, कुंवर सर्वेश सिंह के सामने रुचि वीरा

By राजेंद्र कुमार | Published: April 5, 2024 05:18 PM2024-04-05T17:18:32+5:302024-04-05T17:19:46+5:30

Moradabad Lok Sabha seat: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने चंद दिनों पहले ही पार्टी ज्वाइन करने वाले एक राइस मिल के संचालक इरफान सैफी लोकसभा को चुनाव मैदान में उतारा है.

Moradabad Lok Sabha seat 2024 live Famous world city of brass not yet given chance to women Ruchi Veera vs Kunwar Sarvesh Singh bjp sp bsp | Moradabad Lok Sabha seat: पीतल की नगरी से पूरे विश्व में प्रसिद्ध, शहर ने अब तक महिलाओं को नहीं दिया मौका!, कुंवर सर्वेश सिंह के सामने रुचि वीरा

सांकेतिक फोटो

Highlightsमशहूर शायर जिगर मुरादाबादी के शहर की यह मुरादाबाद सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है.अब तक हुए 17 चुनावों में 11 बार मुस्लिम चेहरों ने संसद में यहां की नुमाइंदगी की है.सीट पर हुए चुनावों में किसी भी महिला को सांसद बनने का मौका नहीं मिला है.

Moradabad Lok Sabha seat: रामगंगा नदी तट पर स्थित मुरादाबाद पीतल की नगरी से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इस शहर से पीतल के बर्तन और पीतल की कलाकृतियों का निर्यात ना केवल भारत में बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया देशों में भी किया जाता है. ऐसे विख्यात शहर की मुरादाबाद सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीसरी बार कुंवर सर्वेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने बीते लोकसभा चुनावों में कुँवर सर्वेश सिंह को हराने वाले एसटी हसन का टिकट काटकर बिजनौर से विधायक रह चुकी रुचि वीरा को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने चंद दिनों पहले ही पार्टी ज्वाइन करने वाले एक राइस मिल के संचालक इरफान सैफी लोकसभा को चुनाव मैदान में उतारा है.

मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी के शहर की यह मुरादाबाद सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है. अब तक हुए 17 चुनावों में 11 बार मुस्लिम चेहरों ने संसद में यहां की नुमाइंदगी की है. आजादी के बाद से अब तक इस सीट पर हुए चुनावों में किसी भी महिला को सांसद बनने का मौका नहीं मिला है. हालांकि तमाम पार्टियों ने इस सीट से कई महिलाओं को चुनाव मैदान में खड़ा किया, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हुई.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से बेगम नूर बानो को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव जीतने में नाकाम रहीं. अब इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी के सीनियर नेता आजम खान के कहने पर पूर्व विधायक रुचि वीरा को चुनाव मैदान में उतारा है. रुचि वीरा मूल रूप से बिजनौर की रहने वाली हैं. उनकी पढ़ाई लिखाई मुरादाबाद में हुई है.

करीब 60 वर्षीय रुचि वीरा मुरादाबाद की बदहाली का मुद्दा उठाते हुए मोदी और योगी सरकार को यहां घेर रही हैं, भाजपा से सवाल कर रही हैं. उनके तीखी अंदाज को शहर के लोग पसंद कर रहे हैं. उनकी जनसभाओं में भीड़ हो रही है. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी रुचि वीरा के चुनाव प्रचार पर नजर रख रहा ही. कहा जा रहा है कि मुरादाबाद सीट को लेकर भाजपा नेता किसी खुशफ़हमी में नहीं है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों संगठन के नेताओं से यह कहा है कि उन्हे यह सीट जीतने के लिए बूथ स्तर पर अपने नेटवर्क को मजबूत करना होगा, तब ही यहां पार्टी का परचम फहरा सकेगा. अमित शाह के इस निर्देश के बाद मुरादाबाद में पहली बार भाजपा को जीत दिलाने वाले कुंवर सर्वेश सिंह ने अपना चुनाव प्रचार तेज किया है.

अब वह गांव-गांव जाकर मोदी-योगी सरकार की योजनाओं को बता रहे हैं. फिलहाल इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच ही सीधा मुक़ाबला हो रहा है. बसपा के इरफान जरूर इसे त्रिकोणात्मक मुक़ाबला बनाने के प्रयास में है.

मुरादाबाद का सामाजिक समीकरण

इस जिले की कुल आबादी करीब 47,72,006 है. पुरुषों की संख्या 25,03,186 और महिलाओं की संख्या 22,68,820 है. जिले में हिंदुओं की आबादी करीब 52.14% और मुस्लिमों की आबादी करीब 47.12% है. अनुसूचित जाति (एससी) के जाटव वोटर्स की संख्या करीब 1.80 लाख बताई जाती हैं.

यादव बिरादरी के वोटर्स भी यहां काफी हैं. करीब डेढ़ लाख ठाकुर मतदाता और लगभग 1.49 लाख सैनी मतदाता भी इस सीट पर हैं. इनके अलावा करीब 74 हजार वैश्य, 71 हजार कश्यप और करीब 5 हजार जाट मतदाता यहां अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं.

दंगे के बाद बदला शहर का मिजाज

13 अगस्त 1980 को ईद के दिन हुए दंगे के इस शहर को आग में झोंका था. इस दंगे में 84 लोग मारे गए थे और 112 लोग घायल हुए थे. इसी के बाद से इस सीट पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सुर सियासी फिजा में मुखर होने लगे. फिर नब्बे के दशक में मंडल और कमंडल के प्रयोग के बीच यहां पर नए राजनेता समाने आए और यादव-मुस्लिम वोटों की जमीन पर चुनावी संघर्ष सपा और कांग्रेस के बीच होने लगा. और अब यह चुनावी संघर्ष सपा और भाजपा के बीच हो रहा है. फिलहाल यहां पर भाजपा नेता यह मान रहे हैं कि इस बार इस सीट पर कडा मुक़ाबला हो रहा है.

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