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कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा के तहत मासिक मजदूरी दोगुनी होकर 1,000 रुपये पहुंची: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: August 26, 2020 02:33 IST

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान मानव दिवस के संदर्भ में जितने कार्य क्रियान्वित किये गये, वह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक है। इससे गांवों में लोगों की आय बढ़ी।

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ठळक मुद्देमनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय दोगुनी होकर करीब 1,000 रुपये हो गयी। वित्त वर्ष 2019-20 में औसत मासिक आय 509 रुपये थी।

मुंबई: कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न संकट के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, 2005 (मनरेगा) के तहत चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय दोगुनी होकर करीब 1,000 रुपये हो गयी। वित्त वर्ष 2019-20 में औसत मासिक आय 509 रुपये थी।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान मानव दिवस के संदर्भ में जितने कार्य क्रियान्वित किये गये, वह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक है। इससे गांवों में लोगों की आय बढ़ी।

उल्लेखनीय है कि महामारी और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ के बाद कामकाज ठप होने से करोड़ों की संख्या में कामगार अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए। इस दौरान उनके लिये मनरेगा आजीविका का प्रमुख सहारा बना। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘चालू वित्त वर्ष में पहले चार महीने में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले मानव दिवस के आधार पर 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई। साथ ही योजना के तहत औसत मजदूरी में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। और इसका कारण महामारी है जिसने शहरों में काम करने वाले मजदूरों को गांव लौटने को मजबूर किया।’’

योजना के तहत प्रत्येक परिवार को एक वित्त वर्ष में कम-से-कम 100 दिन काम देने का प्रावधान है। वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा के लिये बजट में 61,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। बाद में सरकार ने महामारी के प्रभाव को देखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मदद के लिये मनरेगा बजट में 40,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की। इसमें से 11,500 करोड़ रुपये का उपयोग 2019-20 के बकाये के निपटान में किया गया।

इस प्रकार, चालू वित्त वर्ष के लिये 90,000 करोड़ रुपये बचा। रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में ही संशोधित कोष का 50 प्रतिशत से अधिक खर्च किया जा चुका है। योजना की सर्वाधिक मांग हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और गुजरात में हैं। इन राज्यों में कार्य आबंटन सालाना आधार पर 2020-21 के पहले चार महीने में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।

रिपोर्ट के अनुसार मजदूरी की आय में सर्वाधिक वृद्धि आंध्र प्रदेश में देखी गयी जहां चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में यह दोगुनी से भी अधिक 1,340 रुपये मासिक हो गयी जो एक साल पहले 2019-20 की इसी अवधि में 533 रुपये थी। उसके बाद ओड़िशा का स्थान रहा जहां आलोच्य अवधि में मासिक मजदरी आय औसतन 421 रुपये से बढ़ कर 1,121 रुपये हो गयी।

कर्नाटक में यह आलोच्य अवधि के दौरान 593 रुपये से बढ़ कर 1,088 रुपये और हरियाणा में 600 रुपये से 1,075 रुपये हो गयी। गुजरात में यह आलोच्य अवधि में 507 रुपये से 1,031 रुपये और उत्तर प्रदेश में यह 576 रुपये से बढ़कर 1,004 रुपये पहुंच गयी। 

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