मानसून सत्रः प्रोटोकॉल के चलते विपक्षी दल संसद में नहीं कर सकेंगे हंगामा, बैठ कर बात रखेंगे
By शीलेष शर्मा | Published: September 14, 2020 03:28 PM2020-09-14T15:28:50+5:302020-09-14T15:29:13+5:30
सांसदों की सीट पर लगीं सीट के कारण सांसद अपनी सीट पर खड़े हो कर भी बात नहीं कह सकेंगे, जिससे अध्यक्ष के आसन के निकट पहुँच कर विरोध करने वाले सांसदों को गहरा धक्का लगा है।
नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बीच शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में विपक्ष का हंगामेदार स्वर सुनाई नहीं देगा, क्योंकि कोरोना प्रोटोकॉल के नाम पर सांसदों के लिये जो इंतज़ाम किये गये हैं उसके तहत सांसद को अपने स्थान पर बैठ कर ही अपनी बात रखने की अनुमति दी गयी है।
सांसदों की सीट पर लगीं सीट के कारण सांसद अपनी सीट पर खड़े हो कर भी बात नहीं कह सकेंगे, जिससे अध्यक्ष के आसन के निकट पहुँच कर विरोध करने वाले सांसदों को गहरा धक्का लगा है। लोकसभा में प्रश्न काल को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति उठायी और कहा कि यह संसदीय प्रणाली को धूमिल करने और जनता के प्रति जवाब देही से भागने का तरीक़ा है लेकिन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसका विरोध किया और कहा कि सरकार भाग नहीं रही है।
असाधारण हालातों में संसद की कार्यवाही हो रही है
उनका तर्क था कि असाधारण हालातों में संसद की कार्यवाही हो रही है, सरकार का चर्चा से भागने का कोई इरादा नहीं है। जब यह मुद्दा उठा तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि शून्य काल में सांसद अपने सवाल पूछ सकते है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध करते हुए दलील दी कि प्रश्न काल एक महत्त्वपूर्ण समय है, केवल प्रश्न काल को समाप्त कर आप लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश कर रहे है। संसद की कार्रवाई शुरू होने से पहले कोरोना को लेकर सभी तैयारियाँ की गयी और केवल 172 सांसदों को एक समय में हिस्सा लेने की अनुमति दी गयी।
कार्रवाई में हिस्सा लेने वाले सभी सांसदों और संसद के कर्मियों की कोरोना जांच कराई गयी, जिनकी संख्या लगभग 4000 थी। सरकार ने अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पुनर्स्थापित करने के लिए जो विधेयक पेश किये , कांग्रेस सहित विपक्ष ने उसका विरोध किया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह संघीय ढाँचे के खिलाफ काम कर रही है।
जो कार्य राज्य के अधिकार क्षेत्र में हैं उनमें केंद्रीय सरकार दखल दे रही है
राज्यों को विश्वास में नहीं लिया गया, जो कार्य राज्य के अधिकार क्षेत्र में हैं उनमें केंद्रीय सरकार दखल दे रही है। किसानों को लेकर लाये गए विधेयक पर कांग्रेस के गोगोई, अधीर रंजन चौधरी और शशि थरूर ने अपना विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि ये विधेयक किसान विरोधी है और उद्योगपतियों को किसानों का शोषण करने वाला है।
सरकार का इरादा 23 विधेयकों को पारित कराने का है जबकि इसमें 11 ऐसे विधेयक शामिल हैं जिन पर सरकार पहले ही अध्यादेश ला चुकी है। इनमें 4 कृषि क्षेत्र से और 1 बैंकिगं से जुड़ा है। सबसे हैरानी की बात तो यह थी कि सांसदों ने जो लिखित प्रश्न पूछे उनमें 60 - 70 प्रश्न लॉक डाउन, मज़दूरों के पलायन, कोरोना और बेरोज़गारी से जुड़े थे लेकिन सरकार की तरफ से इन सवालों के जवाब में न तो कोई आंकड़ा दिया गया और ना ही कोई ठोस उत्तर। सरकार केवल यह बताती रही कि उसने लोगों की कितनी मदद की है। संसद के बाहर गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आयी है वे किसानों को तबाह करने वाले है।
Rajya Sabha proceedings begin on the first day of #MonsoonSession.
— ANI (@ANI) September 14, 2020
The session began with Lok Sabha assembling in the morning. pic.twitter.com/STbK6BooPs