बज़ट सत्र 2018 में संसद के 250 घण्टे हो गए थे बर्बाद, क्या मॉनसून सत्र का भी वही हाल होगा?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 20, 2018 07:28 AM2018-07-20T07:28:21+5:302018-07-20T14:14:26+5:30
Monsoon Session of parliament Updates:संसद का मॉनसून सत्र 2018 बुधवार (18 जुलाई) से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलना है। 20 जुलाई को टीडीपी द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मत विभाजन होना है। राज्य सभा और लोक सभा के पहले दो दिनों की कार्यवाही को देखते हुए ये आशंका बढ़ रही है कि संसद का इस सत्र का भी बड़ा हिस्सा हंगामे की भेंट न चढ़ जाये।
नरेंद्र मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी साल में है। 18 जुलाई से शुरू हुआ संसद के मॉनसून सत्र में पहले दिन से ही हंगामा मचना शुरू हो गया है। मॉनसून सत्र 2018 के पहले ही सदन में टीडीपी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है जिस पर आज बहस और मत विभाजन होगा। अविश्वास प्रस्ताव से नरेंद्र मोदी सरकार को कोई संकट नहीं है। लेकिन इसके बाद भी मॉब लिंचिंग, तीन तलाक, आरटीआई संशोधन इत्यादि विधेयक को लेकर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार जारी रहने के आसार हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार के इससे पहले के 14 संसद सत्रों का लेखा-जोखा बहुत उत्साहवर्धक नहीं है। लोक सभा के पिछले 14 सत्रों के दौरान करीब 400 घण्टे हंगामे और सदन कार्यवाही स्थगित होने की वजह से बर्बाद हो चुके हैं।
मोदी सरकार के लिए सबसे कम फलदायी रहा बज़ट सत्र 2018 जिसमें केवल 127 घण्टे 45 मिनट ही काम हो सका। बज़ट सत्र 2018 में लोक सभा में केवल 1 प्रतिशत समय ही आवंटित कार्यों पर खर्च हुआ और केवल 14 मिनट सरकारी विधेयकों को दिया जा सका।
बज़ट सत्र 2018 में लोक सभा जैसा ही हाल राज्य सभा का रहा। कुल समय का केवल छह प्रतिशत समय ही आवंटित विषयों के लिए खर्च हुआ। वहीं सरकार के विधेयकों के लिए केवल तीन मिनट का समय दिया गया। आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने, कावेरी जल विवाद, पंजाब नेशनल बैंक फ्रॉड जैसे मुद्दों की वजह से बज़ट सत्र 2018 में राज्य सभा के कुल 121 घण्टे बर्बाद हो गये थे। बज़ट सत्र 2018 में लोक सभा और राज्य सभा दोनों को मिलाकर कुल 250 घण्टे हंगामे और सदन के स्थगित होने की वजह से बर्बाद हो गये थे।
पिछले कुछ दशकों में सदन की वार्षिक बैठकों के कुल दिनों की संख्या कम होती जा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 1950 के दशक और 1960 के दशक में सदन में कुल 125-150 बैठकें होती थीं। लेकिन पिछले दो दशकों में सदन की सालाना बैठकों की संख्या 60-70 दिनों तक सिमट गयी है। रिपोर्ट के अनुसार लोक सभा के लिए सबसे उत्पादक साल 1956 रहा था जब कुल 151 दिनों की बैठक हुई थी और राज्य सभा 113 दिनों तक चली थी।
साल 2002 में नेशनल कमिशन टू रव्यू द वर्किंग ऑफ द कंस्टिट्यूशन ने सुझाव दिया था कि लोक सभा की साल में कम से कम 120 और राज्य सभा की कम से कम 100 दिन बैठक जरूर होनी चाहिए। 16वीं लोक सभा में अभी तक कुल 180 विधेयक पेश किये जा चुके हैं, इनमें से 166 विधेयकों को सरकार पारित कराने में कामयाब रही।
लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें।