RTI में बड़ा खुलासा, मोदी सरकार ने गंगा मइया को दिया 3475 करोड़ रुपये का 'धोखा'
By खबरीलाल जनार्दन | Published: June 6, 2018 11:03 AM2018-06-06T11:03:13+5:302018-06-06T11:03:13+5:30
आरटीआई के जवाब में कहा गया कि ऐसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं जिसमें यह तथ्य हो कि बीते चार साल में गंगा कितनी साफ हुईं।
नई दिल्ली, 6 जूनः एक सुचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के जरिए इसका खुलासा हुआ कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास गंगा की सफाई को लेकर कोई लेखा-जोखा मौजूद नहीं है। आरटीआई में साल 2014 के बाद गंगा की सफाई से संबंधित आंकड़ा मांगे जाने पर मोदी सरकार ने कोई जानकारी ना होने की बात की। आरटीआई के जवाब में कहा गया कि ऐसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं जिसमें यह तथ्य हो कि बीते चार साल में गंगा कितनी साफ हुईं।
गंगा की सफाई पर खर्च किए 3475 करोड़
हालांकि मोदी सरकार की ओर से यह जानकारी उपलब्ध कराई गई कि बीते चार सालों में सरकार ने गंगा की सफाई पर 3475.46 करोड़ खर्च कर दिए हैं। यही नहीं बीते वित्त वर्ष में सरकार ने इस पर सबसे ज्यादा खर्च किया। बीते वित्त वर्ष में मोदी सरकार ने कुल 1625.11 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। लेकिन सरकार को नहीं पता है कि ऐसा करने से कितने प्रतिशत तक गंगा साफ हो गई हैं।
पीएम मोदी ने खुद को बताया था गंगापुत्र
उल्लेखनीय है कि साल 2014 के चुनाव प्रचार के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में खुद के गंगा मां के बुलाने का हवाला दिया था। इसलिए सरकार बनने पर उन्होंने गंगा सफाई के लिए एक नया मंत्रालय बना दिया और नामामि गंगे जैसी महत्वकांक्षी योजना चलाई।
शुरुआत में गंगा कायाकल्प मंत्रालय की जिम्मेदारी उमा भारती को दी गई थी। लेकिन उमा भारती की पार्टी में उपेक्षा के बाद उन्हें यह मंत्रालय और परियोजना से भी बाहर कर दिया गया। अब गंगा सफाई की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को दी गई है। लेकिन खर्चों के अलावा इसमें कोई जानकारी सरकार के पास भी नहीं है। हाल ही में वाराणसी में गंगा सूखने की भी खबरें आई थीं।
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वाराणसी के संतों का दावा था कि अब गंगा में केवल में सीवर का पानी ही बचा है। अगर गंगा में गिरने वाले सभी सीवर रोक दिए जाएं तो गंगा में और कोई पानी नहीं बचेगा। उधर साल 2019 में इलाहाबाद में महाकुंभ की तैयारियां भी जोरों पर हैं। कुंभ वक्त गंगा में पानी छोड़े जाने के आसार हैं।