भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का प्रहार, 21 अधिकारी जबरन सेवानिवृत्त, इस साल अब तक 85 को हटाया

By भाषा | Published: November 26, 2019 04:31 PM2019-11-26T16:31:57+5:302019-11-26T18:41:12+5:30

सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने केंद्रर सरकार के कर्मचारियों की सेवा नियमावली के नियम 56 (जे) के तहत बी समूह के 21 कर अधिकारियों को भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया है। 

Modi government's attack on corruption, 21 officers forcibly retired, 85 removed so far this year | भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का प्रहार, 21 अधिकारी जबरन सेवानिवृत्त, इस साल अब तक 85 को हटाया

पांचवें चरण में 21 और कर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी है।

Highlightsवित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।जबरन रिटायर किए गए अधिकारी ग्रुप बी ग्रेड के हैं।

सरकार ने भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के अभियान के पांचवें चरण में आयकर विभाग के 21 और अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति कर दिया है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवा नियमावली के नियम 56 (जे) के तहत जनहित में बी समूह के 21आय कर अधिकारियों को भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया है। इस साल जून के बाद से यह पांचवां मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट कर अधिकारियों को नौकरी से निकाला है। इसी के साथ 85 कर अधिकारियों को बाहर किया जा चुका है। इनमें 64 उच्चस्तर के अधिकारी थे। इन उच्चस्तरीय अधिकारियों में 12 सीबीडीटी के थे।

इससे पहले सितंबर महीने में सरकार ने 15 कर अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी। सूत्रों ने कहा कि इस बार जिन अधिकारियों को निकाला गया है उनमें सीबीडीटी के मुंबई कार्यालय के तीन और ठाणे के दो अधिकारी शामिल हैं। अन्य अधिकारी विशाखापत्तनम , हैदराबाद , राजमुंदरी , बिहार के हजारीबाग , महाराष्ट्र में नागपुर , गुजरात के राजकोट , राजस्थान के जोधपुर , माधोपुर तथा बीकानेर और मध्य प्रदेश के इंदौर एवं भोपाल में तैनात थे।

सूत्रों ने कहा कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिये गये भाषण के अनुरूप है। प्रधानमंत्री ने लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं। ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना निशाना बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कार्रवाई करते हैं।

जिन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है , उनमें आधे से ज्यादा अधिकारियों को सीबीआई ने कथित तौर पर रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इनमें से एक अधिकारी को 50,000 रुपये की घूस लेते पकड़ा गया था। सूत्रों ने कहा कि एक अधिकारी के बैंक लॉकर में कथित तौर पर 20 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी मिली थी जबकि ठाणे में तैनात एक अधिकारी ने अपने और पत्नी के नाम पर 40 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति अर्जित की थी।

सरकार ने इससे पहले जून में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क (सीबीआईसी) के आयुक्त स्तर के 15 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत कर दिया था। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, रिश्वत लेने और देने, तस्करी और आपराधिक साजिश जैसे आरोप लगे थे। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के तहत नियम 56 (जे) सरकार को सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा का अधिकार देता है। इसमें गौर किया जाता है कि संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक हित में नौकरी पर रखा जाये अथवा सेवानिवृत कर दिया जाये।

Web Title: Modi government's attack on corruption, 21 officers forcibly retired, 85 removed so far this year

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