खुशखबरी, मुंह का स्वाद हो सकता है मीठा, मोदी सरकार 16 करोड़ अतिरिक्त परिवारों को दे सकती है सस्ती दर पर चीनी
By भाषा | Published: June 3, 2019 04:43 PM2019-06-03T16:43:34+5:302019-06-03T16:43:34+5:30
सरकारी खजाने पर 4,727 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। साथ ही सरकार मानसून से पहले भंडारण को कम करने के मकसद से अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराने पर भी विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल की पहली बैठक में सब्सिडी दरों पर चीनी उपलब्ध कराने के खाद्यान्न मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की गयी।
सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये सस्ती दरों पर 16.3 करोड़ अतिरिक्त परिवारों को एक किलो चीनी उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है।
इससे सरकारी खजाने पर 4,727 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। साथ ही सरकार मानसून से पहले भंडारण को कम करने के मकसद से अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराने पर भी विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल की पहली बैठक में सब्सिडी दरों पर चीनी उपलब्ध कराने के खाद्यान्न मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की गयी।
लेकिन उसमें कोई निर्णय नहीं हुआ। बैठक में मंत्रिमंडल ने मंत्रालय से प्रस्ताव पर फिर से काम करने तथा अतिरिक्त खाद्यान्न (चावल या गेहूं) वितरण पर विचार करने को कहा। फिलहाल अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत 2.5 करोड़ परिवारों को 13.5 रुपये किलो पर चीनी की आपूर्ति की जा रही है।
सूत्रों ने कहा कि अतिरिक्त 16.29 करोड़ लाभार्थी परिवारों को एक किलो चीनी मिलने से सरकारी खजाने पर 4,727 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय एक या दो किलो अतिरिक्त खाद्यान्न की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा है लेकिन इस बारे में अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सरकार 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज हर महीने काफी सस्ती दर पर उपलब्ध कराती है। इसके तहत गेहूं 2 रुपये किलो जबकि चावल 3 रुपये किलो दिया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में गेहूं और चावल के भंडार अटे पड़े हैं, ऐसे में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये अतिरिक्त अनाज का वितरण करने पर विचार किया जा रहा है।
कुछ भंडार खुले में रखे हैं, अत: एफसीआई पर मानसून शुरू होने से पहले इसके निपटान का दबाव है। दक्षिण पश्चिमी मानसून पांच जून को केरल आने की संभावना है। बंपर पैदावार के साथ-साथ गेहूं और चावल की खरीद के कारण सरकार के पास बफर भंडार काफी अधिक हो गया है।
एफसीआई ने थोक ग्राहकों को गेहूं बेचना शुरू किया है लेकिन ऊंची दर के कारण कारोबारी ऐसे समय इसे खरीदने को लेकर गंभीर नहीं हैं जब अनाज कम दर पर खुले बाजार में पहले से उपलब्ध है।