राजभवन के रास्ते पूर्वांचल के समीकरण साधेगी भाजपा! मोदी सरकार ने यूपी के पूर्वांचल से जुड़े 4 लोगों को राज्यपाल बनाकर खेला बड़ा सियासी दांव
By राजेंद्र कुमार | Published: February 13, 2023 10:07 PM2023-02-13T22:07:54+5:302023-02-13T22:14:34+5:30
केंद्र सरकार ने पार्टी (भाजपा) के पक्ष में एक साथ कई समीकरण साधते हुए यह मजबूत संकेत दिया है कि राजभवन के रास्ते भी पूर्वांचल के राजनीतिक समीकरणों को साधा जाएगा और भाजपा हर हाल में सूबे की सभी 80 सीटों को हासिल करने के लक्ष्य को प्राप्त करेगी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ही नहीं देश की भी राजनीतिक दिशा बदलने में पूर्वांचल ने हमेशा अहम भूमिका निभाई। आजादी के बाद से अब तक कई बाहरी क्षत्रप यूपी के पूर्वांचल से दिल्ली दरबार ने में सफल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के पूर्वांचल की इस खासियत को पहचानते हैं।
यही वजह है कि वर्ष 2014 में वह वाराणसी से चुनाव लड़ने की लिए आए और उसके बाद से वह यूपी और दिल्ली की राजनीति में पूर्वांचल को महत्व देते हुए दिखाई देते हैं। अपनी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के पूर्वांचल से जुड़े चार लोगों को राज्यपाल बनाकर बड़ा सियासी दांव चला है।
इसके जरिये केंद्र सरकार ने पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) के पक्ष में एक साथ कई समीकरण साधते हुए यह मजबूत संकेत दिया है कि राजभवन के रास्ते भी पूर्वांचल के राजनीतिक समीकरणों को साधा जाएगा और भाजपा हर हाल में सूबे की सभी 80 सीटों को हासिल करने के लक्ष्य को प्राप्त करेगी। यही वजह है कि रविवार को राष्ट्रपति भवन से जारी सूची में पार्टी के पुराने और भरोसेमंद चेहरों को जगह दी है। यहीं नहीं इन चेहरों के जरिये पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग भी साधी है।
भाजपा नेताओं के अनुसार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने यूपी से एक ब्राह्मण और एक दलित चेहरे को गवर्नर बनाकर विपक्ष के 'मानस' दांव को भी फेल करने का भी संकेत दे दिया है। जिसके चलते ही केंद्र सरकार ने राजभवन के लिए जो 13 नाम तय किए हैं, उनमें दो नए नाम शिव प्रताप शुक्ला और लक्ष्मण आचार्य यूपी से हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश और लक्ष्मण आचार्य को सिक्किम का गवर्नर बनाया गया है. शिव प्रताप ब्राह्मण वर्ग से तो लक्ष्मण आचार्य दलित वर्ग की अगुवाई करते हैं. इनके अलाव पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले बिहार के राज्यपाल फागू चौहान का ज्यादा सहज जिम्मेदारी वाले प्रदेश मणिपुर में तबादला शामिल है।
राजनीतिक विश्लेष्कों का मानना है कि यूपी-बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। ऐसे में अब जबकि देश में इस समय से सीधे तौर पर यूपी से ताल्लुक रखने वाले राज्यपालों/ लेफ्टीनेंट गर्वनर की संख्या बढ़कर सात पहुंच गई है। इनमें पूर्वांचल से छह लोग हैं।
अब राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र गाजीपुर से, मेघालय के राज्यपाल फागू चौहान मऊ से , हिमाचल प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला गोरखपुर से और सिक्किम के नवनियुक्त राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य वाराणसी से ताल्लुक रखते हैं, जबकि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा गाजीपुर से और अब केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के उप राज्यपाल बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) डॉ. बीडी मिश्रा मूल रूप से पूर्वांचल के ही भदोही के रहने वाले हैं।
इन सात में पांच सीधे तौर पर पीएम के संसदीय क्षेत्र के पड़ोस के जिलों से हैं। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बहराइच के सांसद रहे हैं, तो अब इसका लाभ ही यूपी में भाजपा को मिलेगा। राजनीतिक के जानकारों के बीच अब यह चर्चा ज़ोरशोर से होने लगी है।
अब कहा जा रहा है कि सूबे में जब बसपा सुप्रीमो मायावती एक बार फिर सक्रिय होने की कोशिश कर रही है और सपा मुखिया अखिलेश यादव गैर यादव पिछड़े वर्ग तथा मुस्लिम समाज को अपने साथ जोड़ने की मुहिम में स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ मिलकर जुटे है। तब प्रधानमंत्री मोदी का यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने के लिए पूर्वांचल को साधने के लिए चला गया नया दांव विपक्ष पर भारी पड़ेगा।
इसी लिहाज से राजभवनों में पूर्वांचल के नेताओं की तैनाती की गई है। और यह बता दिया गया है कि भाजपा का सर्वाधिक जोर पूर्वांचल को साधने पर है।