सरकार आज तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पेश करने जा रही है। लोकसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका है। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि उच्च सदन में यह बिल लटक सकता है क्योंकि कांग्रेस सहित 12 अन्य विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को सेलेक्ट समिति को भेजने के लिए सरकार पर दबाव बना रही हैं।
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को चिठ्ठी लिख कर इसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की है। यह बिल दोपहर में 2 बजे पेश हो सकता है। एनडीए की राज्यसभा में संख्या बढ़ी है लेकिन विपक्ष अभी भी बहुमत में हैं। राज्यसभा में अभी कूल सदस्यों की संख्या 244 है, जिसमें 4 मनोनीत हैं। एनडीए के सांसदों की संख्या 97 है, वहीं विपक्ष के कूल सांसदों की संख्या 115 है। जो पार्टियां बिल को कमिटी के पास भेजने का मांग कर रही हैं, उनमें टीएमसी, सीपीएम, आम आदमी पार्टी और एआइएडीएमके भी शामिल है।
सरकार के लिए सबसे बड़ा झटका एआइएडीएमके का विपक्ष के साथ होना है, क्योंकि इसके पहले AIADMK के बारे में कहा जा रहा था कि वो इस बिल पर मोदी सरकार का समर्थन कर सकती है। नियमों के मुताबिक, राज्यसभा में चर्चा से पहले चेयरमैन इस प्रस्ताव के बारे में सदन को जानकारी देंगे।
सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू के अपनी सास के निधन के कारण सोमवार को सदन में उपस्थित रहने की संभावना नहीं है और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सदन की कार्यवाही के संचालन का जिम्मा संभाल सकते हैं।
विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ऊपरी सदन में इस विधेयक को पेश करेंगे। विधेयक को बृहस्पतिवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे।
प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया था कि भले ही राज्यसभा में भाजपा नीत राजग के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं हो लेकिन सदन में इस विधेयक को समर्थन मिलेगा।
विधेयक को सोमवार को राज्यसभा के विधायी एजेंडे में शामिल किया गया है।
विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक के मजबूत प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में विपक्ष ने इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ‘संयुक्त प्रवर समिति’ के पास भेजने की मांग की थी।