कोरोना संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों की काफी उपेक्षा हुई: मद्रास उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: May 16, 2020 08:29 PM2020-05-16T20:29:50+5:302020-05-16T20:29:50+5:30

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति आर हेमलता की पीठ ने कहा, ‘‘यह मानवीय त्रासदी के अलावा कुछ नहीं है...’’ पीठ ने अधिवक्ता सूर्यप्रकाशम की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

Migrant workers were largely ignored during the Corona crisis: Madras High Court | कोरोना संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों की काफी उपेक्षा हुई: मद्रास उच्च न्यायालय

सांकेतिक तस्वीर

Highlightsअदालत ने ऐसे श्रमिकों के बारे में केंद्र और राज्य सरकारों से 22 मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा। महाराष्ट्र के सांगली जिले के पुलिस अधीक्षक ने कथित तौर पर अवैध रूप से हिरासत में ले लिया है।  

चेन्नईमद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रवासी श्रमिकों के सिर्फ मूल राज्यों का ही नहीं बल्कि उन प्रदेशों का भी कर्तव्य है कि वे उनका ध्यान रखें, जहां वे काम करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। अदालत ने कहा कि कोविड-19 संकट काल में प्रवासी श्रमिक और कृषि कामगार काफी उपेक्षित हैं। अदालत ने ऐसे श्रमिकों के बारे में केंद्र और राज्य सरकारों से 22 मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा।

पीठ ने कहा कि हालांकि सरकारों ने समाज के हर वर्ग की अधिकतम सीमा तक देखभाल की है लेकिन प्रवासी श्रमिकों और कृषि कामगारों की उपेक्षा की गई है।  यह पिछले एक महीने में प्रिंट और विजुअल मीडिया की रिपोर्टों से स्पष्ट है।अदालत ने प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा का जिक्र करते हुए कहा, “पिछले एक महीने से मीडिया में प्रवासी मजदूरों की दिख रही दयनीय स्थिति को देखकर कोई भी अपने आँसुओं को नहीं रोक सकता है।’’

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति आर हेमलता की पीठ ने कहा, ‘‘यह मानवीय त्रासदी के अलावा कुछ नहीं है...’’ पीठ ने अधिवक्ता सूर्यप्रकाशम की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में अनुरोध किया गया है कि इलियाराजा और 400 अन्य लोगों को पेश करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं जिन्हें महाराष्ट्र में सांगली जिले के पुलिस अधीक्षक ने कथित तौर पर अवैध रूप से हिरासत में ले लिया है।  

हाईकोर्ट की जस्टिस एन किरुबाकरन और आर हेमलता की बेंच ने कहा, 'प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए कई दिनों तक पैदल सफर करते रहे, ये दुख की बात है।  उनमें से कई मजदूर सड़क दुर्घटना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए सभी राज्‍यों को मानवीय कदम उठाना चाहिए।'

औरंगाबाद जैसी घटना ने झकझोर कर रख दिया
कोर्ट ने कहा, 'पिछले दिनों औरंगाबाद ट्रेन हादसे में 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत जैसी घटनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया। इन्‍हें देखकर शायद ही किसी का दिल ना पसीजा हो। आंसुओं को रोक पाना मुश्किल था. यह एक मानवीय त्रासदी है।'

कोर्ट की टिप्‍पणी के बाद तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री के पलानीस्‍वामी ने प्रवासियों से अपील की कि वे शिविरों मे ही रहे। सरकार उनकी हर तरह से मदद करेगी। उन्‍होंने कहा, 'हम आपको वापस भेजने के लिए अन्‍य राज्‍यों के साथ समन्‍वय कर रहे हैं. तब तक आप शिविरों में रहें। हम आपके ट्रेन का किराया और यात्रा का खर्च उठाएंगे।' उन्‍होंने कहा कि लगभग 53 हजार प्रवासी श्रमिकों को बिहार, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और बंगाल भेजा जा चुका है।
 

Web Title: Migrant workers were largely ignored during the Corona crisis: Madras High Court

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