योगी आदित्यनाथ के सामने जूते उतार कर रिपोर्ट सौंपने गए पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य, अखिलेश ने लगाया भेदभाव का आरोप
By शिवेंद्र राय | Published: March 10, 2023 04:28 PM2023-03-10T16:28:42+5:302023-03-10T16:30:25+5:30
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्विटर पर शेयर की जा रही जिस तस्वीर का जिक्र किया है उसमें देखा जा सकता है कि मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपते समय आयोग के सदस्यों ने जूते नहीं पहन रखे हैं। अब इसे लेकर अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
लखनऊ: निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए गठित उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंप दी है। मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपते सदस्यों की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की गई। लेकिन अब इस तस्वीर को लेकर भी विवाद हो गया है।
दरअसल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्विटर पर शेयर की गई तस्वीर को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। जिस तस्वीर का जिक्र अखिलेश ने किया है उसमें देखा जा सकता है कि मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपते समय आयोग के सदस्यों ने जूते नहीं पहन रखे हैं। अब इसे लेकर अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा, "जब मुख्यमंत्री खुद व उनके आसपास उनके खास लोग जूता पहन सकते हैं, तो पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों के जूते क्यों उतरवाए गए? ऐसी भेदकारी सोच वाले लोग पिछड़ा वर्ग को उनका हक कभी नहीं देंगे। पिछड़े-दलित अब भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे। मुख्यमंत्री पढ़ें समाजवाद का मूल होता है बराबरी।"
जब मुख्यमंत्री ख़ुद व उनके आसपास उनके खास लोग जूता पहन सकते हैं तो पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों के जूते क्यों उतरवाए गये? ऐसी भेदकारी सोच वाले लोग पिछड़ा वर्ग को उनका हक़ कभी नहीं देंगे। पिछड़े-दलित अब भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 10, 2023
मुख्यमंत्री पढ़ें समाजवाद का मूल होता है बराबरी।
बता दें कि पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए गठित उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष राम औतार सिंह के अनुसार रिपोर्ट के आधार पर निकाय चुनाव में पिछड़ों के लिए सीट का आरक्षण नये सिरे से तय किया जाएगा।
दरअसल निकाय चुनाव के लिए नगर विकास विभाग द्वारा जारी आरक्षण सूची पर कई आपत्तियां दर्ज की गई थीं। इसके बाद उच्च न्यायलय ने बिना आरक्षण तय किए ही चुनाव कराने के आदेश दिए थे। उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आयोग का गठन करके 31 मार्च तक जिलों का सर्वे कराके रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। अब माना जा रहा है कि आयोग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही निकाय चुनाव कराए जाएंगे।