जम्मू: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को दावा किया कि मौजूदा जम्मू-कश्मीर प्रशासन उन्हें घर में नजरबंद किये हुए है और शोपियां में आतंकियों की गोली से मारे गये कश्मीरी पंडित सुनील कुमार भट के परिवार से मिलने से रोक रहा है।
महबूबा मुफ्ती ने अपनी बात को बल दने के लिए ट्विटर पर गुप्कर इलाके में अपने आवास बंद दरवाजों पर लगे तालों और बाहर खड़ी सीआरपीएफ की एक गाड़ी की तस्वीरें पोस्ट की है। पूर्व सीएम मुफ्ती ने कहा कि केंद्र सरकार की "दमनकारी और कठोर नीतियों" के कारण कश्मीरी पंडितों की हत्याएं हुई हैं। लेकिन सरकार को उस मामले में कोई फर्क नहीं पड़ता है।
महबूबा ने ट्विटर पर लिखा, "भारत सरकार कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को गले से नीचे धकेलना चाहती है क्योंकि उसकी कठोर नीतियों के कारण उन लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण हत्याएं हो रही हैं, जिन्होंने यहां से पलायन नहीं किया है। वो हमें मुख्य धारा में अपने दुश्मन की तरह पेश कर रहे हैं और इस कारण उन्होंने मुझे आज नजरबंद रखा है।"
मुफ्ती ने आरोप लगाया कि वो छोटीगाम में जाकर भट के परिवार से मिलना चाहती थी लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनकी कोशिशों को नाकाम करने के लिए घर के बाहर जबरदस्त घेराबंदी कर दी और घर के दरवाजों पर ताले लगा दिये।
अपनी नजबंदी के सिलेसिले में महबूबा मुफ्ती ने कहा, "प्रशासन दावा करता है कि वो हमारी सुरक्षा के लिए घर में बंद कर रहा है जबकि वो खुद घाटी के हर नुक्कड़ पर मौजूद हैं।"
मालूम हो कि महबूबा मुफ्ती के पहले आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने आरोप लगाया था कि सरकार ने उन्हें घर में नजरबंद किया हुआ है। जबकि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक समाचाब वेबसाइट से बात करते हुए कहा किउमर फारूक के घर के बाहर सुरक्षाकर्मी सिर्फ उनकी सुरक्षा के लिए तैनात हैं और प्रशासन ने उन्हें नजबंद नहीं किया हुआ है। वो कहीं भी जाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।
उसके साथ ही उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा था कि चूंकि आतंकियों ने मीरवाइज उमर फारूक के पिता की उनके घर पर ही हत्या कर दी थी। इसलिए हम उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। उमर फारूक खुद ही तय कर लें कि क्या करना चाहते हैं और कैसे रहना चाहते हैं। उनके रहने पर हमारी ओर से कोई बंदिश नहीं है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)