आंदोलन के भविष्य पर फैसला के लिए किसान संगठनों की रविवार को बैठक; अब एमएसपी पर जोर

By भाषा | Published: November 20, 2021 08:03 PM2021-11-20T20:03:18+5:302021-11-20T20:03:18+5:30

meeting of farmers' organizations on Sunday to decide on the future of the movement; Now emphasis on MSP | आंदोलन के भविष्य पर फैसला के लिए किसान संगठनों की रविवार को बैठक; अब एमएसपी पर जोर

आंदोलन के भविष्य पर फैसला के लिए किसान संगठनों की रविवार को बैठक; अब एमएसपी पर जोर

नयी दिल्ली, 20 नवंबर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपने फैसले के बाद अब केंद्र पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून लाने का आंदोलनकारी किसान संगठनों तथा विपक्षी दलों का दबाव है। वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने भी शनिवार को इस मांग में शामिल होते हुए कहा कि जब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता, तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा।

विभिन्न किसान संघों के प्रमुख संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की एक अहम बैठक रविवार को होगी, जिसमें एमएसपी मुद्दे और आगामी संसद सत्र के दौरान प्रस्तावित दैनिक ट्रैक्टर मार्च और आगे के कदम के बारे में फैसला किया जाएगा। मोर्चा की कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘संसद तक ट्रैक्टर मार्च का हमारा आह्वान अभी तक कायम है। आंदोलन की भावी रूपरेखा और एमएसपी के मुद्दों पर अंतिम फैसला रविवार को सिंघू बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक में लिया जाएगा।’’

विपक्ष ने जहां कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सहमत होने को लेकर सरकार पर निशाना साधा, वहीं भाजपा सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे एमएसपी गारंटी की किसानों की मांग को स्वीकार करने का अनुरोध किया। अक्सर किसानों का मुद्दा उठाने वाले पीलीभीत के सांसद ने कहा कि यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता, तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती। उन्होंने आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने भी एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाए जाने की मांग की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘... केंद्र किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाने तथा देश की आन, बान व शान से जुड़े अति गम्भीर मामलों को छोड़कर आन्दोलित किसानों पर दर्ज बाकी सभी मुकदमों की वापसी आदि भी सुनिश्चित करे, तो यह उचित होगा।’’

कांग्रेस और वाम दलों ने भी मांग की है कि एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाया जाए।

वरुण गांधी के साथ ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के लिए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से लखनऊ में पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) के सम्मेलन में अजय मिश्रा के साथ मंच साझा नहीं करने का भी आग्रह किया।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में सरकार पर निशाना साधा और कहा, ‘‘महाभारत और रामायण हमें सिखाते हैं कि आखिरकार अहंकार की पराजय होती है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि फर्जी हिंदुत्ववादी यह भूल गए हैं और उन्होंने सच तथा न्याय पर हमला कर दिया, जैसे कि रावण ने किया था।’’

उसने कहा कि कम से कम भविष्य में केंद्र को ऐसे कानून लाने से पहले अहंकार को परे रखना चाहिए और देश के कल्याण के लिए विपक्षी दलों को भरोसे में लेना चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा की पृष्ठभूमि में आरोप लगाया कि सिर्फ भाजपा की सरकार में कैबिनेट की मंजूरी के बिना कानून बनाए और निरस्त किए जाते हैं।

केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने कृषि कानूनों को ‘काला कानून’ बताने के किसानों के आरोपों पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने एक किसान नेता से पूछा कि कृषि कानूनों में काला क्या है? आप लोग कहते हैं कि यह एक काला कानून है। मैंने उनसे पूछा कि स्याही के अलावा और क्या काला है? उन्होंने कहा कि हम आपके विचार का समर्थन करते हैं, लेकिन फिर भी ये (कानून) काले हैं।’’

केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग राज्य मंत्री सिंह ने कहा, ‘‘इसका इलाज क्या है? इसका कोई इलाज नहीं है। किसान संगठनों में आपस में वर्चस्व की लड़ाई है। ये लोग छोटे किसानों के फायदे के बारे में नहीं सोच सकते। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून वापस लेने की घोषणा की है।’’

इस बीच किसान नेता तथा एसकेएम सदस्य सुदेश गोयत ने कहा, ‘‘... हमने तय किया है कि संसद में इन कानूनों के औपचारिक रूप से वापस लिये जाने तक हम यह जगह नहीं छोड़ेंगे। आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आना जारी रहेगी।’’

उन्होंने कहा कि अभी तक ट्रैक्टर मार्च को रद्द करने का कोई फैसला नहीं हुआ है।

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