मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस: बीजेपी ने कहा 'हिंदू आतंकवाद' पर माफी मांगें सोनिया और राहुल गांधी
By पल्लवी कुमारी | Published: April 16, 2018 06:00 PM2018-04-16T18:00:04+5:302018-04-16T18:00:04+5:30
हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में 11 साल जांच और सुनवाई के बाद एनआईए कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है
नई दिल्ली, 16 अप्रैल: 2007 के हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में 11 साल जांच और सुनवाई के बाद एनआईए कोर्ट फैसला सुनाया है। सभी आरोपियों के बरी होने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।
बीजेपी नेता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि पी चिदंबरम और सुशील शिंदे जैसे नेताओं ने 'भगवा आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल कर हिंदुओं का अपमान किया था। जिसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को माफी मांगने के लिए कहा है।
संबित पात्रा ने कहा, आज देश को 2013 का कांग्रेस का जयपुर अधिवेश याद आ रहा है। उस अधिवेशन में मंच पर कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी, तत्कालीन उपाध्यक्ष राहुल गांधी, तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे मौजूद थे। शिंदे ने इस मंच से हिंदू आतंकवाद/सैफरन टेरर का इस्तेमाल किया।' पात्रा ने कहा कि 2010 में सबसे पहले पी चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था।
The #BJP lambasted the #Congress for defaming and disrespecting the Hindu religion, adding that the latter was doing this just for the sake of "votes".
— ANI Digital (@ani_digital) April 16, 2018
Read @ANI Story| https://t.co/ZXMi2ABjiApic.twitter.com/bogOk8UOWE
संबित पात्रा ने कहा, तुष्टीकरण की राजनीति और चंद वोटों के लिए कांग्रेस ने हिंदुओं को बदमान किया है। पात्रा ने यह भी कहा कि चिदंबरम या शिंदे ने ये सब सोनिया और राहुल से सीखा है, इसलिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
यह भी पढ़ें- कठुआ गैंगरेप के आरोपियों ने खुद को बताया बेकसूर, कहा- कराया जाए नारको टेस्ट
क्या है पूरा मक्का मस्जिद विस्फोट मामला
18 मई 2007 को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान विस्फोट हुआ। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हुए थे। इस घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ। लोग सड़कों पर निकल आए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़पें हुई। इसमें पांच और लोग मारे गए। इस मामले की 11 महीने तक जांच चली जिसमें 160 चश्मीदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए। एनआईए कोर्ट ने 16 अप्रैल 2018 को फैसला सुनाया जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।