रक्षाबंधन के ऐसा त्योहार होता है जो हर एक भाई बहन के लिए खास होता है। नेता हो या आम जनता हर बहन इस दिन भाई की कलाई पर राखी बांधती है। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और बिहार के राज्यपाल लाल जी टंडन को 16 को पहले बसपा सुप्रिमो मायावती ने राखी बांधी थी। कहते हैं 1995 में पहली बार बीजेपी के गठबंधन के साथ वह सीएम बनीं थीं तो उन्होंने लाल जी टंडन को राखी बांधी थी।
लेकिन कहा जाता है कि गठबंधन टूटने के साथ राखी की डोर भी टूट गई थी। इसके बाद से मायावती ने लाल जी को कभी राखी नहीं बांधी। हाल ही में मायावती ने हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला को राखी बांधी है। अभय 25 सिंतबर को पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल की जंयती के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण देने पहुंचे थे।
इसके बात अब खबरों की मानें तो राखी के साथ ही बसपा और इनेलो के आगामी गठबंधन की शुरुआत हो गई है जिसमें महज औपचारिकता बची है। कहा जा रहा है रक्षाबंधन के दिन अभय किसी विदेशी यात्रा पर रहेंगे इसी कारण से उन्होंने पहले ही मायावती के साथ इस खास दिन को मना लिया है। हांलाकि अभय की ओर से कहा गया है कि इसको चुनावी या राजनीतिक रूप ना दिया जाए। लेकिन कहा जा रहा है कि हरियाणा में दलित मतदाओं की संख्या बड़े रूप में है। ऐसे में मायावती के साथ आने से आगानी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा।
ऐसे में इनेलो ने तो मायावती के साथ पहले ही गठबंधन कर लिया है तो दूसरी ओर कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कहा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ बसपा को राष्ट्रीय स्तर पर समझौता हो रहा है। इन सबसे एक बात साफ है कि फिलहाल हरियाणा में पार्टी मायावती को बैसाखी के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं और इसके लिए राखी का भी सहारा लिया गया है। हांलाकि मायावती ने इस पूरे प्रकरण पर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा है।